इंदौर। आई बस में बीते गुरुवार को आग लगी थी लेकिन अभी भी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है कि बस में आग कैसे लगी। हालांकि मेंटनेंस एजेंसी ट्रेवल्स टाइम ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है। इसमें कंपनी ने गोलमाल जवाब दिया है। इसमें साफ तौर पर नहीं बताया गया है कि आग लगने की असली वजह क्या है। केवल अंदेशा जताया है कि ये आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी होगी।
हालांकि ये आशंका तो आग लगने वाले दिन ही पता चल चुकी थी। ऐसे में आग लगने के असली कारणों का पता लगाने के लिए एआईसीटीएसएल के अधिकारियों ने अब बस निर्माता कंपनी अशोक लिलैंड के एमपी हेड को लेटर लिखा है। इसमें पूछा गया है कि जांच पूरी तसल्ली से करें। फिर बताएं कि आग लगने की असली वजह क्या है। ताकि दूसरी बसों के मेंटनेंस में भी उन तकनीकी बातों का ध्यान रखा जा सके। एआईसीटीएसएल ने इसके साथ अहमदाबाद की आईबस में लगी आग का उदाहरण भी दिया है। कहा है कि आई बस में आग लगने की यह दूसरी घटना है।
मामला पिछले सप्ताह गुरुवार का है। घटना शाम करीब 4.45 बजे सत्यसांई चौराहे के पास की है। विजय नगर से सत्यसांई चौराहे स्थित बस स्टॉप पर आईबस एमपी 09 पीए 0204 पहुंची थी। यहां सवारियों को उतारने और बैठाने के बाद आई-बस स्टॉप से आगे बढ़ गई। कुछ ही दूरी पर बस ड्राइवर ताराचंद शर्मा को धुएं की बदबू आई। इसके बाद उन्होंने बिना देर के बस को रोका और सभी गेट खोल दिए साथ ही यात्रियों को भी बाहर निकलने के लिए कहा। बस में करीब 25 यात्री सवार थे। इस दौरान इंजन के पास से तेज धुआं निकलने लगा और देखते ही देखते आग लग गई। आग ने थोड़ी ही देर में बस के आगे के हिस्से को पूरी तरह से अपने चपेट में ले लिया। बस में रखे अग्निशमन यंत्र से आग बुझाने की कोशिश की गई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आग ने विकराल रूप ले लिया था। तब तक फायर ब्रिगेड भी आग गई थी। आसपास के लोगों और दमकलकर्मियों की मदद से आग बुझाई गई।
नहीं बजा अलार्म, आधुनिक सिस्टम की पोल खुली
घटना ने बस के आधुनिक सिस्टम की भी पोल खोल कर रख दी है। साल 2019 में बस को खरीदा गया था। तब अधिकारियों ने इसकी खूबियां भी गिनाई थी। उन्होंने बताया था कि बस में ऐसे सेंसर लगे है, जो धुआं निकलने की स्थिति में अलार्म बजेगा। जिससे आग जैसी घटना होने पर पहले ही अलर्ट मिल सकेगा। मगर घटना वाले दिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इतना ही नहीं ये तक बताया गया था कि इसमें फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम आग को महसूस करते हुए पानी के फुहारे छोड़ेगा या एक ब्लास्ट करेगा, जिससे ऐसे रसायन निकलेंगे जो आग को तुरंत बुझा देंगे। जो खूबियां गिनाई गई थी, उसमें से एक ने भी काम नहीं किया। ये भी जांच का विषय है और इसके बारे में भी बस बनाने वाली कंपनी को विस्तार से जवाब देना होगा।
शहर में इतनी आई बस संचालित होती है
राजीव गांधी चौराहे से निरंजनपुर चौराहे के बीच 54 आई बसें संचालित होती हैं। इसमें से करीब 48 से ज्यादा बसें इस रूट पर रोजाना दौड़ती हैं। कुछ बसें रिजर्व में रहती है और कुछ मेंटेनेंस के कारण डिपो पर रहती हैं। इन आई बसों में 28 आई बसें ट्रेवल टाइम कंपनी की है। इस कंपनी को 2019 में एआईसीटीएसएल का टेंडर मिला था। गुरुवार को जिस आई बस में आग लगी वह भी इसी कंपनी की है।
ट्रेनिंग के बाद ही ड्राइवर चला सकते हैं बस
ट्रेवल टाइम कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़े मनीष पंजवानी ने बताया कि पूरे ऑपरेशन का सबसे जरुरी हिस्सा है ट्रेनिंग। हर ड्राइवर को 10 से 12 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें उन्हें बीआरटीएस में गाड़ी कैसे चलाना है, किस तरह डॉपिंग (स्टॉप पर सही जगह पर बस रोकना) करना। सिग्नल का ध्यान रखना, जैसी बातें शामिल हैं। उन्हें समझाया जाता है कि उनकी बस में जितने यात्री सफर करते हैं उनकी जिम्मेदारी ड्राइवर पर रहती है।
इंदौर
आई बस अग्निकांड मामला... अब बस बनाने वाली कंपनी के एमपी हेड को लिखा लेटर
- 16 Nov 2022