इंदौर। उच्च शिक्षा विभाग में इंदौर जिले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अजा-जजा) वर्ग के करीब सात हजार विद्यार्थियों को एक साल पुरानी छात्रवृत्ति भी नहीं मिल पाई है। इनमें 500 विद्यार्थी तो ऐसे हैं जिनको दो साल वर्ष 2020-21 पहले की छात्रवृत्ति भी नहीं मिली है। राज्य शासन से बजट का आवंटन न मिलने से यह हालात बने हैं। इनमें कुछ प्रकरण तकनीकी कमियों के कारण भी रुके पड़े हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक संचालक बीके शुक्ला का कहना है कि शासन ने इस साल से पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) शुरू किया है। सभी विद्यार्थियों को इसी सिस्टम के जरिए सीधे उनके खाते में स्कालरशिप भेजी जा रही है। इस सिस्टम में कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलने में मुश्किल आती है। हमारी तरफ से कोई देरी नहीं होती। शैक्षणिक संस्थान की ओर से पात्र विद्यार्थियों की जानकारी मिलते ही हमारी ओर से सत्यापन करके आनलाइन ही मंजूरी दे दी जाती है। इसके बाद विद्यार्थी के बैंक खाते में छात्रवृत्ति भेज दी जाती है।
बताया जाता है कि इंदौर में अजा-जजा वर्ग के विद्यार्थियों की करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति रुकी हुई है। छात्रवृत्ति हासिल करने के लिए यह छात्र सीएम हेल्पलाइन से लेकर जनसुनवाई में शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन उनकी अर्जियां इसलिए दम तोड़ देती हैं कि शासन के पास शायद धन की कमी है। दरअसल, इंदौर मध्यप्रदेश का एजुकेशन हब है, इसलिए उच्च शिक्षा के लिए सर्वाधिक विद्यार्थी भी यहीं आते हैं। इसमें इंदौर संभाग के आठ जिलों के अलावा उज्जैन, भोपाल आदि संभागों के जिलों के विद्यार्थी भी शामिल हैं। छात्रवृत्ति के अधिकांश प्रकरण शिक्षा सत्र 2021-22 के हैं। इसके अलावा वर्ष 2020-21 के भी कुछ प्रकरण अटके हुए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि दो साल पुराने अधिकांश प्रकरण ऐसे हैं जिनमें कालेज या विद्यार्थियों की ओर से दस्तावेजों की कमी है। ऐसे में इन प्रकरणों का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। इसके लिए संबंधित कालेज को दस्तावेजों की पूर्ति के निर्देश समय-समय पर दिए जाते हैं।
इंदौर
एससी-एसटी के हजारों विद्यार्थियों की दो साल से रुकी है छात्रवृत्ति
- 16 Aug 2022