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इंदौर

कलंगी और तुर्रा ने एक दूसरे पर बरसाए आग के गोले

  • 27 Oct 2022

दो साल बाद हुए हिंगोट युद्ध में पांच लोग घायल
 इंदौर ।  गौतमपुरा में हर वर्ष दीपावली के अगले दिन होने वाला हिंगोट युद्ध इस बार दीपावली के दो दिन बाद यानी आज बुधवार को हुआ। युद्ध के मैदान में कलंगी और तुर्रा सेनाओं के वीर एक दूसरे के सामने रहे। उनके हाथ में थे सुलगते हिंगोट। युद्ध के पहले दोनों सेनाओं के योद्धाओं न भगवान देवनारायण के मंदिर पहुंचकर आशीर्वाद लिया। युद्ध के दौरान 5 योद्धा घायल हो गए।
गौतमपुरा में करीब दो सौ वर्षों से हिंगोट युद्ध की परंपरा चल रही है। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से दो वर्ष इसका निर्वाहन नहीं हो सका था। हजारों लोग युद्ध की इस परंपरा के साक्षी बनते हैं। खास बात यह कि इस युद्ध में कोई हार-जीत नहीं होती। गले मिलकर योद्धा युद्ध की शुरूआत करते हैं और गले मिलकर ही युद्ध का समापन होता है। गौतमपुरा के योद्धाओं के दल का नाम तुर्रा होता है तो रूणजी गांव के योद्धाओं का कलंगी। युद्ध मैदान के पास बने देवनारायण भगवान के मंदिर में पूजा के साथ युद्ध की शुरूआत होती है। हिंगोट युद्ध कैसे शुरू हुआ और यह परंपरा में कैसे तब्दील हुआ इसका प्रमाण तो किसी के पास नहीं लेकिन बताया जाता है कि मुगल काल में गौतमपुरा क्षेत्र में रियासत की सुरक्षा में तैनात सैनिक मुगल सेना के घुड़सवारों पर हिंगोट दागते थे। निशाना सटीक बैठे इसके लिए वे कड़ा अभ्यास करते थे। धीरे-धीरे यही अभ्यास परंपरा में बदल गया।