नेचर एंड वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन एंड अवेयरनेस सोसायटी ने कराया अध्ययन
इंदौर। यशवंत सागर केवल शहर की जल आपूर्ति का ही महत्वपूर्ण स्रोत नहीं, बल्कि जैव विविधता का भी बेहतर स्थल है और इसका प्रमाण यहां बहुतायत में पाए जाने वाले सारस हैं। लेकिन इस वर्ष इनकी संख्या में कमी आई है। हाल ही में यहां नेचर एंड वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एंड अवेयरनेस सोसायटी द्वारा अध्ययन कराया गया। इसमें यह बात सामने आई कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष यहां सारस की संख्या में 34 प्रतिशत कमी आई है। इसकी कई वजह हैं जिनमें मत्स्य पालन, खेती, घास की कटाई प्रमुख हैं। संस्था द्वारा यह अध्ययन अप्रैल से 10 जुलाई तक कराया गया। इसमें यह बात सामने आई कि गत वर्ष जहां यशवंत सागर में 76 सारस पाए गए थे वहीं इस बार इनकी संख्या घटकर 50 ही रह गई।
माचल, बुरानाखेड़ी और बड़ोदा दौलत तालाब पर भी अध्ययन किया गया लेकिन महज एक ही जोड़ा बड़ोदा दौलत में पाया गया। इससे यह बात साफ जाहिर होती है कि एक वर्ष में यहां सारस की संख्या बढ़ने के बजाय घटी है। संस्था अध्यक्ष रवि शर्मा के अनुसार यहां सारस की घटती संख्या पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है क्योंकि जिले का यह ऐसा स्थान है जहां सर्वाधिक संख्या में सारस पाए जाते हैं। यह स्थान उनका जीवनचक्र बढ़ाने के लिए भी माकूल है क्योंकि यहां के टापुओं पर लंबी घास है जिसमें वे अंडे देते हैं।
2018 से 2021 तक इनकी संख्या में सतत इजाफा हुआ लेकिन इस वर्ष तेजी से कमी आई। पर्यावरणविद् पद्मश्री भालू मोंढे के अनुसार यशवंत सागर में खेती के लिए किसान यहां घास काटते ही नहीं बल्कि जला भी देते हैं जिससे कई बार उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं। घास खत्म होने की वजह से वे यहां अंडे भी नहीं दे पाते।
इंदौर
खेती के लिए जलाई घास तो यशवंत सागर क्षेत्र में 34 फीसद घटे सारस
- 22 Aug 2022