अधिकारी सप्रमाण पुख्ता जानकारी देने में बगलें झाकते नजर आए
इन्दौर । स्वरोगार बेरोजगारी विषयों पर यूँ तो सभी जानते है सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है। अधिकारी आफीस के कैबीनों मे मस्त है बेरोजगार युवा सडकों पर मदमस्त वर्तमान हालात पस्त
लेकिन उन घोषणाओं पर अमल नहीं होता है मध्यप्रदेश शासन ने हर महीने 2 लाख युवाओं को स्वरोजगार और 1 लाख युवाओं को रोजगार देने के लिए 4 विभागों को मिलाकर एक योजना बनाई थी ।
इस योजनाओं के अन्तर्गत करोडो का खर्चा बी किया जा रहा है वहीं एमएसएमई विभाग 13.80 लाख युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से बेरोजगारी से मुक्त करने की बाते भी करता है । वहीं रोजगार विभाग लगभग 1लाख के करीब रोजगार देने की बडी बडी बाते कर रहा है । हायर एजुकेशन , विश्व विद्यालय , कालेजों के स्तर पर रोजगार मेला कार्यशालाओं व कंपनियों को बुलाकर आमने सामने बैठाकर चौनने के अवसर बनाकर मेले लगा कर बेरोजगारी दुर कर तकरीबन 2.40 लाख रोजगार देने की बाते भी की जा रही है । स्पष्टतः यह बताने में की कितने कुल बेरोजगारों को रोजगार दिया कहाँ कहाँ रोजगार दिया उन कंपनी की सूचीबद्ध बेरोजगार व्यक्ति के नाम पते सहीत सप्रमाण देने में असमर्थता व्यक्त कर रही है सच्चाई बताने में अधिकारियों के गले सुख जाते है पुख्ता जानकारियों का अभाव साफतौर पर दर्शाता है की सरकारी गैर सरकारी चारो विभाग मिलकर भी बेरोजगारी को नियंत्रित करने मे असफल हो गए । जांच करने पर ही सच्चाई को सामने लाया जा सकता है आखीरकार खर्चीली योजनाओं को बनाकर बिलावजह खर्चे जनता के ही मिथे टैक्स के रूप मे थोपने की मानसिकता से मुक्ति कब तक मिलेगी । संबंधित मलाईदार विभागों के बडे जिम्मेदार अधिकारियों को अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझकर तल्लीनता पूर्वक योजनाओं पर काम करने वालों पर भी निगाहें रखना होगी तभी बेरोजगारी सही मायने में दूर की जा सके ।