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इंदौर

पुरुष नसबंदी में गीता ने बनाया रिकॉर्ड, पुरुषों को प्रेरित करने इंसेंटिव के 300 रु. भी दिए, डेढ़ लाख नसबंदी करने वाले सर्जन को भी अवॉर्ड

  • 26 Jul 2022

भोपाल। बढ़ती आबादी को कंट्रोल करने के लिए सरकार फैमिली प्लानिंग पर जोर दे रही है। आंकडों को देखें तो परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने का जोर महिलाओं पर ही रहता है। आंकड़े बताते हैं कि मप्र में 0.9 त्न पुरुष ही नसबंदी कराते रहे हैं, जबकि 51 त्न महिलाएं नसबंदी कराती हैं। मप्र के ग्वालियर की एक आशा कार्यकर्ता ने पुरुष नसबंदी में रिकॉर्ड बनाया है। एक साल में 64 पुरुषों की नसबंदी कराने पर अब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय बुधवार 27 जुलाई को दिल्ली में उसे सम्मानित करेगा।
एक नसबंदी पर 300 इंसेंटिव मिलता, वो भी दे दिया
ग्वालियर के कम्पू क्षेत्र के वार्ड 46 में गीता सूर्यवंशी साल 2009 से बतौर आशा कार्यकर्ता काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने का जिम्मा मिला था। शुरुआत में तो लोग नहीं सुनते थे। मुझे जब बैठकों में पता चला कि नसबंदी कराने में पुरुषों की संख्या न के बराबर है, तब मैंने ठान लिया कि मैंने पुरुषों को प्रेरित करने पर फोकस किया। कई बार तो पुरुष बात ही नहीं करते थे। लोग कहते थे कि तुम आशा कार्यकर्ता हो, तुम्हारा काम है। तुम्हें तो नसबंदी कराने पर पैसे मिलते हैं। मैंने फैसला लिया कि अब जो लोग नसबंदी कराएंगे, उन्हें प्रोत्साहन राशि भी दे दूंगी। जो भी नसबंदी कराता, उसे सरकार की तरफ से तीन हजार रुपए मिलते, मैं भी अपने हिस्से के 300 रुपए भी उन्हें दे देती। इसके बाद ऐसा हो गया कि नसबंदी कराने वाला व्यक्ति खुद ही दो-तीन दोस्तों को लेकर आने लगा। मैं अपने वार्ड के अलावा ऐसे क्षेत्रों और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर जाकर मजदूरों को प्रेरित करने लगी। एक साल में 64 पुरुषों की नसबंदी करा चुकी हूं।
1 लाख 64 हजार नसबंदी कराने वाले सर्जन भी होंगे सम्मानित
इंदौर जिला अस्पताल में पदस्थ एलटीटी सर्जन डॉ. मोहन सोनी बतौर सर्जन फैमिली प्लानिंग के लिए नसबंदी के ऑपरेशन कर रहे हैं। 2009 से अब तक करीब 1 लाख 64 हजार महिला और पुरुष नसबंदी के ऑपरेशन कर चुके हैं। डॉ. मोहन सोनी ने बताया कि मैंने 2009 में सरकारी नौकरी जॉइन की थी। इसके बाद फोकस फैमिली प्लानिंग पर रहा है। विभाग की तरफ से मैं इंदौर, देवास, सीहोर, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, आगर समेत तमाम जिलों में जाकर नसबंदी करता आ रहा हूं। रविवार को छोड़कर हफ्ते के छह दिन लगातार ऑपरेशन करता हूं। मेरा सर्जिकल सामान, पहनने, बिछाने के कपड़े, मच्छरदानी, टॉर्च और खाना सब गाड़ी में रहता है। सुबह जल्दी घर से निकलता हूं। एक दिन में एक जिले में चार-पांच सीएचसी पर सर्जरी करनी होती है। आमतौर पर नसबंदी कराने वाले लोग दोपहर 12 नसबंदी शिविर में आते हैं। ऐसे में सूरज डूबने से पहले छह घंटे में काम पूरा करना होता है। ये सावधानी का काम होता है। सुबह घर से एक बार निकले, तो पता नहीं कब लौटेंगे। नौकरी के शुरुआती दिनों और आज में बदलाव देखकर अच्छा लगता है। पहले लोगों को बुलाने, मनाने जाना पड़ता था। आज के कैम्प में ऐसी स्थिति होती है कि महिलाओं को वापस लौटाना पड़ता है।
दिल्ली में मिलेगा अवॉर्ड
साल 1952 में देश में राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। 27 जुलाई को इस प्रोग्राम के 70 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय परिवार नियोजन शिखर सम्मेलन दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित अशोका होटल में होगा। इसमें मप्र के दो हेल्थकेयर वर्कर्स को अवॉर्ड के लिए चुना गया है। ग्वालियर की आशा कार्यकर्ता गीता सूर्यवंशी और इंदौर के सर्जन डॉ. मोहन सोनी को पुरुस्कार दिया जाएगा।
इटारसी की आशा बनेगी मोटिवेशनल स्पीकर
दिल्ली में 27 जुलाई को आयोजित कार्यक्रम में होशंगाबाद जिले के इटारसी की आशा कार्यकर्ता विनम्र लोवंशी को भी बतौर मोटिवेशनल स्पीकर बोलने का मौका मिलेगा। विनम्र लोवंशी आशा कार्यकर्ता के तौर पर सेवाएं देकर हर महीने 12 से 15 हजार रूपए तक प्रोत्साहन राशि पा रही हैं। वे काम के तरीकों को मंच से शेयर करेंगी।