इंदौर। सहकारिता विभाग ने बरसों बरस से निष्क्रिय पड़ी सहकारी संस्थाओं को खत्म करने के लिए नोटिस जारी किए है। 96 संस्थाओं को नोटिस थमाए गए। मध्यप्रदेश, राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एम.बी. ओझा ने एक आर्डर जारी किया है जिसमें इंदौर समेत प्रदेश भर के जिलों की सहकारी संस्थाओं की सूची में फर्जी सदस्यों की बात पाई है। इस तरह की शिकायत पाए जाने के बाद जांच में जो तथ्य सामने आए उसके अनुसार यह कार्रवाई की जा रही है।
कई समाजों ने भी अपने सदस्यों के लिए ऐसी संस्थाएं खोलकर सरकार से लाभ प्राप्त किए लेकिन सदस्यों तक लाभ नहीं पहुंचा। ऐसी संस्थाएं भी सहकारिता विभाग के निशाने पर है। मध्यप्रदेश में 1940 के दशक से प्रारंभ हुआ सहकारी आंदोलन इसीलिए कमजोर पड़ गया कि इसमें भ्रष्ट तत्व घुस आए। दरअसल 1940 के दशक में होलकर शासनकाल में इंदौर प्रीमियर को ऑपरेटिव बैंक के माध्यम से सहकारिता का पदार्पण हुआ था ताकि बनिये ब्याजखोरों के आम आदमी को कर्ज देकर भारी ब्याज वसूलकर शोषण करने की प्रवृत्ति से बचाया जा सके लेकिन सत्तर के दशक में स्वार्थी राजनेताओं व सहकारिता विभाग के अफसरों ने सहकारिता आंदोलन को ऐसा चूना लगाया कि कई बैंक दिवालिया होकर खातेदारों का करोड़ों रूपया डूब गया। अब देर आयद दुरूस्त आयद की तर्ज पर फर्जी व नाम के लिए चलने वाली संस्थाओं को खत्म करने की कार्रवाई की जाएगी।
इंदौर
बरसों से निष्क्रिय पड़ी सहकारी संस्थाएं खत्म की जाएगी, लगभग 96 संस्थाओं को नोटिस जारी
- 11 May 2022