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उज्जैन

महाकाल की शाही सवारी का खर्च उठाएंगे अघोरी बाबा

  • 06 Sep 2021

उज्जैन। बाबा बमबम नाथ उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे धूनी रमाए मिल जाएंगे। बाबा हर साल महाकाल की शाही सवारी के स्वागत-सत्कार की तैयारी कराते हैं। सजावटी फूलों से लेकर बंदनवार, टेंट, कनात, रेड कारपेट, आतिशबाजी सहित शाही सवारी में होने वाले कई अन्य खर्च भी बाबा ही उठाते हैं। 15 साल से शाही सवारी का बाबा बमबम नाथ खर्च उठाते हैं। यह खर्च लाखों रुपए में होता है।
कहने को बाबा अघोरी की तरह श्मशान में रहते हैं, लेकिन महाकाल के बड़े भक्त हैं। पैसों का इंतजाम कैसे होता है, जैसे सवालों का जवाब हंसकर टालते हुए कहते हैं कि ये तो सब बाबा महाकाल ही कराते हैं। मैं-तू-हम कौन? कराने वाला वो है, हमें तो बस आदेश मिलता है। पिछले 15 साल से आदेश मिल रहा है तो करा रहे हैं। बाबा बमबमनाथ कोरोना काल के पहले हर साल कावडिय़ों के लिए यात्रा का इंतजाम कराते थे। उनके आने-जाने का खर्च से लेकर ठहरने, खाने और दवा तक का इंतजाम बाबा की ओर से होता था। सावन के पूरे महीने उनके यहां भंडारा चलता था, लेकिन अब कोविड गाइडलाइन के चलते बाबा से श्रद्धालुओं से दूर ही रह रहे हैं।
बाबा के तन पर नाममात्र के कपड़े, वॉइस कमांड से चलाते हैं मोबाइल
बाबा अघोरी के रूप में चक्रतीर्थ (श्मशान) में शिप्रा नदी के किनारे रहते हैं। बताते हैं वे तांत्रिक क्रियाएं भी करते हैं। यहां उनके शिष्य भी रहते हैं। वे नाममात्र के काले रंग के कपड़े पहनते हैं, भस्म रमाते हैं और चिलम पीते हैं। वे एंड्रॉयड मोबाइल इस्तेमाल करते हैं और वॉइस कमांड से मोबाइल ऑपरेट करते हैं। कुछ समझ नहीं आने पर उनके शिष्य तुरंत उनकी मदद करते हैं। रहने के लिए उनके पास एक बड़ा हॉल है जिसमें कोई दरवाजा नहीं है। वे तपस्या करते हैं, हवन करते हैं। रोज देर तड़के महाकाल के दर्शन करने जाते हैं।
शाही सवारी में आज क्या है खास
सोमवार को महाकाल की आखिरी सवारी निकाली जाएगी। शाही सवारी के मौके पर पारंपरिक उद्घोषक, तोपची, सलामी गार्ड, घुड़सवार दल, संगीतमय धुन के साथ पुलिस बैंड, पुराने युग का आभास कराती नगाड़ों की थाप, गूंजती शहनाई, पुजारी, पुरोहित गण, अधिकारी गण आदि सवारी के साथ चलेंगे। मंदिर परिसर को भी फूलों के बंदनवार, तोरण से सजाया जा रहा है। बाबा श्री महाकालेश्वर के नगर भ्रमण के दौरान संपूर्ण सवारी मार्ग में फूलों व रंगों से रंगोलियां, जगह-जगह पर आतिशबाजी, रंगबिरंगे ध्वज, छत्रियां आदि से सजाया जा रहा है। जगह-जगह पर आधुनिक तकनीक पायरो के माध्यम से आतिशबाजी और पुष्प वर्षा की जाएगी।