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इंदौर

रूमेटोलॉजिकल डिसीज के खतरे को 30 गुना तक बढ़ा सकता है वायु प्रदूषण

  • 29 Nov 2022

आयराकॉन 2022 की 37वीं एनुअल नेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन
इंदौर। यदि आपमें कुछ खास रिस्क जींस है, जो रूमेटोलॉजिकल डिसीज के कारक होते हैं और आप प्रदूषित वातावरण में रहने के साथ ही स्मोकिंग भी करते हैं तो आपको अन्य लोगों की तुलना में रूमेटोलॉजिकल बीमारियां होने का खतरा 20 से 30 गुना तक बढ़ जाता है। वायु प्रदुषण और रूमेटोलॉजिकल डिसीज को लेकर स्वीडन में किए गए इस शोध को आयराकॉन 2022 की 37वीं एनुअल नेशनल कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र में फैकल्टी लार्स क्लैरेस्कोग ने प्रस्तुत किया।
रविवार को हुए कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र के मुख्य अतिथि एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित थे। कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. आशीष बाडिका ने बताया कि इंडियन रूमेटोलॉजिकल असोसिएशन का यह 37 वा सत्र बहुत ही सफल रहा है। इसमें 1200 से ज्यादा डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया और 20 से ज्यादा विदेश वैज्ञानिक भी थे। कॉन्फ्रेंस के दौरान 175 वैज्ञानिक सत्र और 18 वर्कशॉप हुई। कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ वीपी पांडे ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस की खासियत यह थी कि इसमें गठिया के इलाज को किफायती बनाने पर विशेष जोर दिया गया। इसके तहत इलाज की नई तकनीकों और दवाइयों से जुड़े शोध भी प्रस्तुत किए गए। गठिया के मरीजों को सही समय पर पहचानने के लिए 500 से ज्यादा जनरल फिजिशियन को भी ट्रेनिंग दी गई।  
एम्स दिल्ली की रूमेटोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ उमा कुमार कहती है कि हमने एक रिसर्च की जिसमें आधे मरीजों को सिर्फ दवाई दी गई और आधे मरीजों को दवाइयों के साथ ही योग भी कराया गया। जिन मरीजों ने दवाइयों के साथ ही योग भी किया उन मरीजों की बीमारी ज्यादा जल्दी ठीक हो रही थी और उन्हें जोड़ों में जकडऩ और सूजन से भी ज्यादा राहत मिली।