इंदौर। विवाह के 24 वर्ष बाद दर्ज एफआइआर को निरस्त करते हुए मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कहा है कि विवाह के इतने वर्षों बाद कोई दहेज के लिए कैसे प्रताडि़त कर सकता है।
द्वारकापुरी निवासी 45 वर्षीय कोमल का विवाह 1997 में गुरमुखदास से हुआ था। इस विवाह से उसे दो संतानें हैं जिनकी आयु 21 और 19 वर्ष है। वर्ष 2020 में कोमल ने पति ननद, जेठ के विरुद्ध महिला थाने में आवेदन देकर दहेज मांगने और मारपीट का आरोप लगाया था। उसका कहना था कि ये तीनों उसके साथ लगातार मारपीट करते हैं और दहेज मांगते हैं। पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए प्रकरण दर्ज कर लिया।
आरोपियों ने एडवोकेट मनीष यादव और राहुल शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर एफआइआर निरस्त करने के लिए गुहार लगाई। यादव ने कोर्ट में तर्क रखा कि दहेज प्रताडऩा की शिकायत विवाह के 24 वर्ष बाद की गई है। इतने वर्षों तक कोई शिकायत नहीं की गई। यह भी नहीं बताया कि दहेज कब मांगा और क्या मांगा। चार माह पहले महिला ने याचिकाकर्ता (पति) के साथ मारपीट की थी। इसमें पति को गंभीर चोट आई थीं। महिला के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज हुआ था।
कोर्ट ने जताई नाराजगी
याचिकाकर्ता की तरफ से रखे गए तर्कों से सहमत होते हुए न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार (वर्मा) ने एफआइआर निरस्त करने के आदेश दिए। एडवोकेट यादव ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि ऐसा नजर आता है कि शिकायतकर्ता ने हथियार के रूप में विवाह के 24 वर्ष बाद झूठा दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज कराया है। न घटना का स्पष्ट उल्लेख है न ही आरोप। आजकल न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का चलन इसी तरह देखने में आ रहा है। इसमें संज्ञान भी लिया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
इंदौर
विवाह के 24 वर्ष बाद कोई दहेज के लिए कैसे प्रताडि़त कर सकता है - कोर्ट
- 16 Nov 2022