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इंदौर

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट - नगर निगम और स्मार्ट सिटी कम्पनी की संयुक्त कार्रवाई जल्द ही होगी

  • 09 Sep 2022

 एमओजी लाइन में स्थित कुक्कुट केंद्र की जमीन पर बने मकानों को तोड़ेगी
इंदौर। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत स्मार्ट सिटी कंपनी एमओजी लाइन स्थित कुक्कुट केंद्र की जमीन पर बने 100 से ज्यादा मकानों को तोड़ेगी। इसको लेकर टेंडर जारी कर दिए गए हैं। जो ठेकेदार सबसे ज्यादा पैसा देगा, उसे तोडफ़ोड़ का ठेका दिया जाएगा। अभी एमओजी लाइन में आरसीसी की बिल्डिंग तोड़ी जा रही है, जो हाउसिंग बोर्ड की है।
शहर के दो क्षेत्र स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए चिह्नित किए गए हैं। इसमें एक 742 एकड़ का राजबाड़ा क्षेत्र और दूसरा 55 एकड़ का महू नाका से गंगवाल बस स्टैंड (एमओजी लाइन) तक का एरिया है।  प्रोजेक्ट के तहत एमओजी लाइन में कमर्शियल, मिश्रित उपयोग व आवासीय बिल्डिंग बनाने की प्लानिंग है। इसके लिए स्मार्ट सिटी कंपनी के पास खुद की जमीन नहीं होने पर एमओजी लाइन में दूसरे सरकारी विभाग की भूमि दी गई है। जिन विभागों की जमीन मिली है, उनमें पीडब्ल्यूडी, नजूल, हाउसिंग बोर्ड और पशु चिकित्सालय सहित कुक्कुट केंद्र शामिल है। राज्य सकार के जरिए यह जमीन आवंटित हुई है, क्योंकि इन विभागों से लंबी लड़ाई लडऩे के बावजूद नगर निगम को इनसे जमीन नहीं मिल रही थी।
राज्य शासन स्तर तक मामला पहुंचा और कैबिनेट की मंजूरी पर इन विभागों की जमीन मिली। इसके बाद एमओजी लाइन में बाधक मकान और अन्य निर्माण को तोडऩे का काम शुरू हुआ। इसमें 316 सरकारी मकान, सरकारी स्कूल और हाउसिंग बोर्ड की जी प्लस टू की कई बिल्डिंग्स शामिल हैं।
चार वर्ष पहले बनी थी योजना
  एमओजी लाइन में अधिकतर निर्माण तोड़ दिए गए हैं, जो कच्चे-पक्के दोनों तरह के थे। अभी हाउसिंग बोर्ड की आरसीसी यानी पक्की बनी बिल्डिंग्स तोड़ी जा रही है। ऐसे में स्मार्ट सिटी कंपनी ने अब कुक्कुट केंद्र की जमीन पर बने 100 से ज्यादा मकान तोडऩे की तैयारी कर ली है। ये सभी कच्चे होने के साथ सरकारी है, इस कारण इनको तोडऩे में कोई दिक्कत नहीं है। इसके लिए टेंडर जारी किए है। अब जो ठेकेदार मकान तोडऩे की एवज में सबसे ज्यादा पैसा देगा, उसे ठेका दे दिया जाएगा।
दो बार टैंडर निकालने के बाद भी कोई नहीं आया
एमओजी लाइन सरकारी मकान, सरकारी स्कूल और हाउसिंग बोर्ड के मकान तोडऩे के बाद खाली हुई जमीन पर प्लॉट काटकर बेचने की तैयारी भी स्मार्ट सिटी कंपनी ने कर रखी है। यहां 11 प्लॉट हैं। इनकी साइज 10, 12 और 20 हजार वर्ग फीट तक है। इनको बेचने के लिए पिछले दिनों मप्र लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग भोपाल से टेंडर निकाले गए। किसी भी सरकारी विभाग की संपत्ति बेचने को लेकर यह विभाग ही कार्रवाई करता है। प्लॉट बेचने को लेकर दो बार टेंडर जारी हो गए, लेकिन कोई कंपनी खरीदने नहीं आई। ऐसे में अब तीसरी बार टेंडर बुलाने की तैयारी है। इसके लिए मप्र लोक परिसंपति प्रबंधन विभाग भोपाल को प्रस्ताव भेजा है। प्लॉट बिकने के बाद एमओजी लाइन में कमर्शियल मिश्रित उपयोग और आवासीय बिल्डिंग बनेगी। इनमें फ्लैट और ऑफिस का निर्माण किया जाएगा। इनको बेचने का अधिकार प्लॉट खरीदने वाली कंपनी या बिल्डर का ही रहेगा। स्मार्ट सिटी कंपनी सिर्फ गलत निर्माण होने पर निगम के जरिए कार्रवाई करेगी।