इंदौर। चोरल के बाद अब मानपुर से अतिक्रमण हटाया गया। वन विभाग ने जंगल की जमीन से कब्जा हटाने को लेकर अभियान चलाया है। इसके चलते अफसरों ने इंदौर वनमंडल में 32 लोगों की सूची तैयार की है जिन्होंने 125 हेक्टेयर जंगल पर बरसों से अतिक्रमण कर रखा है। ये लोग पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये पेड़ों को काटकर वनभूमि को समतल बनाकर खेती कर रहे हैं। इस काम में ग्रामीणों का कुछ वनकर्मी भी सहयोग कर रहे हैं। अफसर इन्हें भी चिन्हित करने में लगे हैं।
22 मई को चोरल के गाजिंदा वनक्षेत्र से अतिक्रमण हटाया था। यहां सोहनलाल ने आठ साल से कब्जा कर रखा था। वह 16 हेक्टेयर जमीन पर खेती कर रहा था। यहां से पेड़ काटकर लकड़ी माफिया को बेचना भी सामने आया है। ठीक ऐसी कार्रवाई शनिवार को मानपुर के खुर्दा, बरख़ेडा और कनेरिया में की गई। यहां भी ग्रामीणों ने दस साल से कब्जा कर रखा था। खेती के साथ ही जंगल की जमीन पर झोपड़ी बना रखी थी। मानपुर रेंज की टीम ने पुलिस की मदद से शनिवार को तीन स्थानों से अतिक्रमण हटाया। लगभग 25 हेक्टेयर जमीन से कब्जा मुक्त करवाया।
वनकर्मियों की लापरवाही आई सामने
इंदौर में नाहार झाबुआ, रमणा बिजासन, खंडेल, कम्पेल, देवगुराडिय़ा, महू की बढिय़ा, कुशलगढ़, बडग़ोदा, छोटी जाम, बड़ी जाम और मानपुर में दक्षिण कनेरिया, आशापुरा, जमाली, गोकल्याकुंड वनक्षेत्र में ग्रामीणों ने खेती के लिए वनभूमि पर कब्जा कर रखा है। अफसरों ने इनकी सूची बना ली है। सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों अतिक्रमण को लेकर समीक्षा की गई थी, जहां जंगल की निगरानी में लापरवाही सामने आ रही है। वनकर्मी गंभीरता से जंगल की सुरक्षा नहीं कर रहे हैं। अतिक्रमण की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जाती है। डीएफओ नरेंद्र पंडवा का कहना है कि अतिक्रमण करने वालों की सूची बन चुकी है। इन्हें हटाने के लिए कार्रवाई की जाएगी।
प्रक्रिया पर लगी आपत्ति
अतिक्रमण करने के कुछ साल बाद ग्रामीण शासन से वनक्षेत्र में पट्टा मांगते हैं। दो साल पहले ही बिना सत्यापन किए वनकर्मियों ने ग्रामीणों को पट्टे के लिए पात्र घोषित कर दिया था। इसे लेकर तत्कालीन महू रेंजर महेश अहिरवार ने आपत्ति उठाई थी। उस दौरान चोरल, महू और मानपुर से करीब 150 आवेदन आए थे। महू में जिला प्रशासन और वन अफसरों ने पट्टों के आवेदन की समीक्षा की। बिना सत्यापन किए इन्हें पट्टे बांटे गए थे। पूरे इंदौर वृत में सबसे ज्यादा गड़बड़ी धार में सामने आई थी। पट्टें दिए जाने को लेकर राजनीतिक दवाब के चलते प्रशासन के अधिकारियों ने भी जमकर अनदेखी की। अनियमितता को लेकर विभाग मुख्यालय में शिकायत भी हुई। वैसे नियमानुसारन 2012 के बाद रहने वालों को पट्टा देने का कोई प्रावधान नहीं है।
इंदौर
125 हेक्टेयर जंगल में कब्जा, 32 अतिक्रमणकारियों की बनी सूची
- 31 May 2022