इंदौर। कोरोना से बस व्यवसाय भी पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है नतीजा यह हो रहा है कि बस संचालक लगातार घाटे में जा रहे हैं। 600 बसें रोड पर अब तक नहीं आ पाई है। इसी के चलते 444 बसो के परमिट बस संचालकों ने सरकार के समक्ष सरेंडर कर दिए हैं।
कोरोना संक्रमण के दौरान लगे lock-down से वैसे ही बसों के चक्के थम गए थे पिछले साल भी उन्हें काफी घाटा हुआ था और इन दिनों शादी ब्याह का सीजन भी नहीं है वही बड़े आयोजन नहीं होने के कारण बसों का आवागमन नहीं के बराबर हो रहा है। इसी के चलते बस संचालक लगातार घाटे में जा रहे हैं बस संचालक स्टाफ का खर्च भी वहन नहीं कर पा रहे हैं और ऐसे में उन पर लगातार टैक्स की मार बढ़ रही है लगातार डीजल के भाव भी बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि कोरोनावायरस पूर्व लगभग 12 सौ बसें इंदौर से विभिन्न मार्गो पर संचालित की जाती थी जिसमें से छह सौ बसे अब तक रोड पर ही नहीं आ पाई है। लगातार घाटे के चलते 289 बस ऑपरेटरों ने अपनी 444 बसों के परमिट सरकार के समक्ष सरेंडर कर दिए हैं। लगातार डीजल वृद्धि से भी बहुत घाटा बढ़ रहा है हालांकि पिछले दिनों सरकार ने यात्री किराए में वृद्धि की थी लेकिन बस संचालक उसे पर्याप्त नहीं मान रहे हैं पिछले दिनों 155 बस ऑपरेटरों ने सरकार के समक्ष आवेदन भी पेश किया था। इंदौर प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा के अनुसार यही हाल रहा तो बस व्यवसाय पूरी तरह से बंद होने की कगार पर आ जाएगा सरकार को चाहिए कि वह बंद अवधि के दौरान का समस्त टैक्स माफ करें और साथ ही डीजल मूल्य वृद्धि पर भी कुछ लगाम लगाए ।