कुल्हाड़ी के एक ही वार से काट दी पत्नी की गर्दन … इंदौर के राऊ क्षेत्र में हुई थी हत्या
इंदौर। इंदौर में विभिन्न आपराधिक घटनाएं घटित होती ही रहती है लेकिन ऐसे कितने मामले हैं जिनके आरोपियों को उनके कर्मों की सजा मिल पाती है। लेकिन ईश्वर के यहां देर है अंधेर नहीं ऐसा कुछ लोगों का कहना रहता है मगर वास्तव में जब तक कोई भी केस मजबूत गवाह और अन्य सबूतों के नहीं बनाया जाता तब तक आरोपी को सजा नहीं हो सकती है हाल ही में इंदौर जिला न्यायालय ने ऐसे ही एक मामले में पत्नी के हत्यारे को आजीवन कारावास की सजा और अर्थदंड से दंडित किया है। पेश है डिटेक्टिव ग्रुप की खास रिपोर्ट।
घटना अनुसार मृतिका सुमन बाई पति भगवान सोलंकी निवासी सुदामा नगर झोपड़पट्टी थाना अन्नपूर्णा क्षेत्र की रक्त रंजिश लाश राऊ थाना क्षेत्र के अंतर्गत आई आई एम के सामने झोपड़पट्टी में पाई गई थी। पुलिस को जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे पुलिस दल ने देखा कि उक्त महिला की गर्दन पर गहरी चोट है पास ही खून से सनी कुल्हाड़ी रखी हुई है इस पर यह समझते देर नहीं हुई थी हत्या इसी हथियार से की गई है। 12 गवाहों के बाद पुलिस ने पूरा मामला जिला न्यायालय मैं 24 वें अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में प्रस्तुत किया था। घटना 25-26 मार्च 2018 की मध्य रात्रि की बताई जा रही है लगभग 3 साल चले इस प्रकरण में न्यायालय ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा के साथ ही 2 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है आरोपी और कोई नहीं महिला का पति भगवान सिंह सोलंकी ही निकला। दर असल उसने पत्नी के चरित्र की शंका को लेकर उसे मौत के घाट उतार दिया था।
क्या कहते हैं सरकारी वकील...।
उक्त मामले की जानकारी देते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक श्याम दांगी ने बताया कि इस घटना कोई चश्मदीद गवाह नहीं था लेकिन घटनास्थल से मृतिका की बहन और जीजा सामने आए थे। बचाव पक्ष ने तमाम दलीलें दी की घटना होते किसी ने नहीं देखी लेकिन पुलिस ने जो साक्ष्य जुटाए थे कि घटना के बाद आखिरकार जब पति पत्नी दोनों एक साथ झोपड़ी में सोए थे तो फिर अकेली महिला की हत्या क्यों हुई। पति फरार क्यों हो गया यही सबसे बड़ा कारण साबित हुआ और सारे सबूत उसी के खिलाफ दिखाई दिए।
-श्याम दांगी अशासकीय लोक अभियोजक
बहन और जीजा बने मुख्य गवाह
अतिरिक्त शासकीय लोक अभियोजक श्याम दांगी बताते हैं कि इस पूरी घटना का यूं तो कोई चश्मदीद गवाह नहीं था लेकिन पुलिस ने मृतिका की बहन और जीजा को इस केस में चश्मदीद गवाह माना था जब बचाव पक्ष के वकील ने यह दलील दी कि घटना को अपनी आंखों से होते हुए किसी ने नहीं देखा है इसलिए आरोपी पर हत्या सिद्ध नहीं होती है। यदि इसी आऱोपी ने हत्या की है तो फिर इसके बहन और जीजा ने उस समय उसे क्यों नहीं बचाया। क्योंकि बहन और जीजा दोनों झोपड़ी के बाहर सो रहे थे और यह दोनों पति-पत्नी झोपड़ी के अंदर सो रहे थे। इस पर शासकीय लोक अभियोजक का कहना था कि उन्होंने यह दलील दी कि आधी रात के वक्त दोनों के बीच विवाद हुआ और आरोपी ने अपनी पत्नी की गले पर कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी थी। सरकारी वकील ने यह दलील भी दी कि बचाव पक्ष के वकील का कहना गलत है की बहन और जीजा ने उसे क्यों नहीं बचाया जो कि आधी रात का वक़्त था सब गहरी नींद में सो रहे थे और आरोपी ने कुल्हाड़ी का सीधा बार घातक तरीके से मृतिका की गर्दन पर किया था स्वभाविक है की उसकी चीख भी नहीं निकल पाई होगी तो फिर यह लोग सुनते कैसे और यदि आरोपी बेकसूर है तो फिर यह फरार क्यों हो गया जबकि घटना वाली रात यह पत्नी के साथ वहीं सोरहा था।
मृतिका के साथ किसी किसके अवैध संबंध थे ...
इस मामले को लेकर बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि मृतिका के किसी व्यक्ति से अवैध संबंध थे इसी बात को लेकर पहले भी दोनों के बीच कहासुनी हुई है इसलिए हत्या किसी अन्य व्यक्ति ने की है आरोपी बेकसूर है। संभव है हत्या को मृतिका के जीजा नहीं अंजाम दे दिया हो....?
इस पर शासकीय लोक अभियोजक का मत था कि हत्या पति ने हीं की है यदि मृतिका के अवैध संबंध अपने जीजा से होते तो उसकी बहन उसे मौत के घाट उतार देती। क्योंकि उसके अधिकारों का हनन हो रहा था भला जीजा अपनी प्रेमिका को क्यों मारने लगा यदि वह रास्ते से हटाता तो आरोपी की हत्या कर देता इसलिए यह कहना गलत होगा कि आरोपी बेकसूर है। इसके अलावा इस केस में कुल 12 गवाह थे जिनमें से 10 गवाह कोर्ट के समक्ष कराए गए जिनमें पुलिस व अन्य जांच अधिकारी आदि शामिल थे। न्यायालय ने जो 2 हजार का दण्ड किया है वह मृतक के बच्चों को देने के लिए कहा गया साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को लिखा गया है कि वे विचार कर पीड़ित प्रतिकर अधिनियम के तहत इन्हें मदद पहुंचाएं।