एक थाने से दूसरे थाने और अधिकारियों के चक्कर लगाने के बाद दर्ज होता है प्रकरण
इंदौर। जिस तेजी से इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है। उसी तेजी से ऑनलाइन ठगी के मामले भी सामने आ रहे हैं। अपराधोंपर नजर डाले तो इन दिनों अपराधी हाईटेक होकर सायबर अपराध ज्यादा कर रहे हैं। इन अपराधों में जहां पुलिस इन्हें आसानी पकड़ नहीं पाती है। वहीं ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में आसानी से एफआईआर भी दर्ज नहीं होती है। ठगी का शिकार हुआ पीडि़त एक थाने से दूसरे थाने और अधिकारियों के कई चक्कर लगाता है तब जाकर प्रकरण दर्ज होता है।
दरअसल ऑनलाइन ठगी के शिकार हुए लोगों के लिए पुलिस में प्रकरण दर्ज कराना टेढ़ी खीर साबित होता है। इस तरह के मामलों में पुलिस भी एफआईआर दर्ज करने से बचती है। ठगी का शिकार हुआ व्यक्ति वैसे ही परेशान रहता है और उस पर से पुलिस उसे परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। इसी प्रकार का एक मामला गत दिवस सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति के खाते से ऑनलाइन डेढ़ लाख रुपए निकल गए। इसे लेकर वह चार साल से पुलिस के चक्कर काट रहा है। कई बार थाने और कंट्रोल रूम पर जनसुनवाई में भी गुहार लगाई, लेकिन उसकी किसी ने फरियाद नहीं सुनी।
रंगवासा निवासी नारायण पिता राधेश्याम पाटीदार चॉकलेट फैक्ट्री में काम करता है। 21 जून 2017 को उसका एटीएम बंद हो गया था। वह इस बारे में किसी से चर्चा कर ही रहा था उसे किसी का कॉल आया और बताया कि आपके बैंक अकाउंट से डेढ़ रुपए निकाले गए हैं। इसके बाद उसने पहले तो बैंक जाकर जानकारी ली और बाद राऊ थाने में प्रकरण दर्ज कराने पहुंचा। यहां पर पुलिस ने बहाना बनाकर चलता कर दिया। इसके बाद उसने पुलिस अधिकारियों को भी शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
कई बार गया थाने, जनसुनवाई में भी शिकायत
नारायण ने बताया कि वह इस मामले में अज्ञात आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने के लिए एक दो बार नहीं, बल्कि करीब 50 बार थाने में गया, लेकिन हर बार मुझे कोई न कोई बहाना बनाकर लौटा दिया गया और प्रकरण दर्ज ही नहीं किया गया। इतना ही नहीं पुलिस कंट्रोल रूम पर जनसुनवाई में भी दस बार पहुंचा और शिकायत की, लेकिन उसके बाद भी किसी अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया और आज तक पुलिस के चक्कर पर चक्कर काट रहा हूं।
ऐसे आसानी से दर्ज होता है प्रकरण
पूर्व में कई बार देखा गया है कि यदि किसी प्रभावशाली या रसूखदार का किसी मामले में दबाव आता है तो पुलिस तत्काल प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई करती है। ऑनलाइन ठगी के कुछ मामलों में जब ठगी का शिकार हुए लोगों ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की तो वहां से मिले निर्देश के बाद पुलिस ने तत्काल एफआईआर की है। हालांकि इसके बाद भी कुछ ही प्रकरणों में आगे की कार्रवाई की गई। शेष ठंडे बस्ते में ही हैं।
हर बार आरोपी पकड़ में नहीं आते
सूत्र बताते हैं कि ऑनलाइन ठगी के मामलों में पुलिस इसलिए भी बचती है कि ऐसे प्रकरणों में हर बार आरोपी पकड़ में नहीं आ पाते। वहीं इन मामलों की गुत्थी सुलझाने में भी काफी मशक्कत करना पड़ती है। साथ ही इन प्रकरणों का खात्मा भी आसानी से नहीं हो पाता है। इसलिए पुलिस इन मामलों में एफआईआर दर्ज करने से बचती है।
सबसे ज्यादा बैंक के नाम पर ठगी
देखने में आया है कि सबसे अधिक ऑनलाइन ठगी बैंक के डेबिट और क्रेडिट कार्ड के नाम पर होती है। ठगोरे बैंक अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और कार्ड बंद होने का झांसा देकर कॉल करने वाले के बैंक खाते व आधार कार्ड सहित ओटीपी भी ले लेते हैं। इसके बाद खाते से रुपए निकल जाते हैं। जबकि बैंक और पुलिस जब भी जागरूकता अभियान चलाते हैं तो समझाइश दी जाती है कि कोई भी बैंक का अधिकारी कभी भी मोबाइल या फोन पर कोई जानकारी नहीं मांगते हैं। इसके बाद भी अनेक लोग ठगोरों के झांसे में आ जाते हैं।
अधेड़ और बुजुर्ग होते हैं निशाना
ऑनलाइन ठगी के शिकार अधेड़ उम्र के और बुजुर्ग लोग होते हैं, जो किसी का भी फर्जी कॉल (नकली बैंक अधिकारी) आने पर घबरा जाते हैं और उसे खाते से संबंधित जानकारी देते हैं। ऐसे लोगों की अधिकांश डिटेल इन सायबर ठगोरों के पास रहती है, जो इन्हें आसान से अपना शिकार बना लेते हैं।
लगातार बढ़ रहे सायबर अपराध
सायबर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सायबर सेल पुलिस और क्राइम ब्रांच द्वारा ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए आमजन को जागरूक करते हुए ऐसे अपराधों से बचने के लिए समझाइश दी जाती है, लेकिन इसके बाद भी कई लोग सायबर ठगोरों के जाल में उलझ जाते हैं, जिसके चलते वे अपने हजारों लाखों रुपए गंवा देते हैं।
ठगी का यह भी निकाला तरीका
इन दिनों ठगों ने ऑनलाइन ठगी का नया तरीका निकाला है। वे ऐसे लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं, जो इंटरनेट पर पोर्न साइट पर फिल्में और अश्लील सीन देखते हैं। हाल ही में सायबर सेल और क्राइम के ब्रांच के पास कुछ ऐसे मामले पहुंचे हैं। ठगोरे पहले तो पोर्न वेबसाइट तैयार करते हंै, फिर उस पर विजिट करने वाले सब्स्क्राइबर की जानकारी चुराते हैं। चुराई हुई जानकारी से यह पता लगाया जाता है किस ई-मेल के माध्यम से वेबसाइट पर विजिट किया गया। इसके बाद उक्त ई-मेल पर ठगों द्वारा पोर्न देखने की जानकारी सार्वजनिक करने की धमकी देते हुए रुपए ऐंठते हंै। इस तरह के मामले अब शहर में भी बढ़ रहे हैं। इन मामलों की जांच में पुलिस को पता चला है कि अपराधी विदेशी सर्वर से पोर्न वेबसाइट तैयार करते हंै। उस वेबसाइट में एक विकल्प होता है, जिसके चलते वहां विजिट करने वाले सब्स्क्राइबर की जानकारी उनके पास पहुंच जाती है। इसके बाद वे उक्त जानकारी में से यह देखते हंै कि किस ई-मेल के माध्यम से साइट पर विजिट किया। उसका स्क्रीन शॉट लेने के बाद आरोपी सब्स्क्राइबर को ब्लैकमेल करते हुए उनकी जानकारी सार्वजनिक करने की धमकी देते हंै। पहले ठग पांच हजार रुपए की मांग करते हैं। जब उनके पास रुपए पहुंच जाते हैं तो वे फिर वे अपनी डिमांड धीरे-धीरे बढ़ाते हंै। कुछ लोग तो पांच हजार से पचास हजार रुपए तक ठगों को दे चुके हंै। शहर में 16 साल के नाबालिग से लेकर 35 साल के युवक इसका शिकार हुए हंै। उनकी शिकायत सायबर सेल को भी मिली है। जिस पर जांच चल रही है।
DGR विशेष
ऑनलाइन ठगी - FIR दर्ज करने से बचती है पुलिस

- 13 Mar 2021