जनता अगर सकारात्मक वातावरण बनाएगी तो निश्चित रूप से सामाजिक बदलाव आएगा ...
सेल्फ डिपेंडेंट पति और पत्नी है वह एक दूसरे की सुनना ही नहीं चाहते, समझना ही नहीं चाहते l हम कई बार देखते हैं कि एक ईगो पॉइंट पर पूरा परिवार हिंसा पर चला जाता है, उलझा रहता है ...
बच्चे और बच्ची दोनों को उनको मां-बाप को सुधारने की आवश्यकता है l आस-पड़ोस को भी देखने की जरूरत है कि बच्चा किस दिशा में जा रहा है ...
पब्लिक में कोई कितना भी बोल दे कि पुलिस बहुत खराब है, लेकिन अंततः याद हमारी 100 डायल ही आती है l तो कहीं ना कहीं जनता हम पर विश्वास करती है...
DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
कमिश्नर प्रणाली इंदौर में लागू हुई है इसको आप किस तरह से देखते हैं ?
पुलिस प्रशासन के पावर बड़े हैं और तुरंत कार्यवाही के लिए तो पुलिस कमिश्नर प्रणाली बेहद सराहनीय है,इसके कारण हम जनता में और जनता के प्रति हमारा विश्वास और बढ़ेगा l
हाल ही में कमिश्नर साहब की एक महत्वपूर्ण बैठक में सभी को सख्त निर्देश मिले हैं क्या संदेश है?
यह नहीं कह सकते हैं, हमारे जो कमिश्नर साहब है बहुत ही पोलाइट है l हमे लगता ही नहीं है कि वह हमारे बड़े अधिकारी हैं, वह तो हमारे एक पारिवारिक वरिष्ठ सदस्य की तरह हम सभी को ट्रीट करते हैं l एक बेहतर इंदौर और बेहतर कानून व्यवस्था बनाने के लिए जो किया जा सकता है, उसके लिए आपस में बैठकर उनके द्वारा चर्चा की गई l उनको जो उचित लगा उन्हें वह बताया और हमको कुछ हमारी बातें थी वह भी हमने सभी ने रखी l वह भी उनके द्वारा सुनी गई और इस तरह से यह एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई है l
क्या आप ऐसा मानते हैं कि कमिश्नर प्रणाली से पुलिस प्रशासन में और कसावट आवेगी ?
मेरे ख्याल से ऐसा कहना ठीक नहीं है, पर हमारा पुलिस विभाग जो है वह पहले से ही चुस्त-दुरुस्त है l यह है कि मॉनिटरिंग का जो स्तर बढ़ा है, उससे कई चीजें फिल्टर होकर अच्छे रूप में सामने आएंगी l कुछ चीजें कई बार छूट जाती है वह प्रॉपर चैनल से चलेंगे तो बेहतर होगा l
कमिश्नर साहब का ऐसा कहना है कि थाना प्रभारी ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच में रहे, इससे क्या संदेश जाता है?
यह तो पहले से भी था और एक स्वागत डेस्क हमारी चला करती थी l आज भी वैसा ही सिस्टम है यह है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली आने से पुलिस से और अपेक्षाएं बढ़ गई हैँ,और उम्मीदें बढ़ गई है,हम बात करें कि पहले भी रात को 10:00 बजे मान लो कोई पति अपनी पत्नी को पीट रहा है,तो वह चार बच्चों के साथ थाने पर आकर खड़ी हो जाती थी,उसे विश्वास है पुलिस पर और जितना विश्वास पुलिस पर है उतना अभी भी किसी पर नहीं है l पब्लिक में कोई कितना भी बोल दे कि पुलिस बहुत खराब है, लेकिन अंततः याद हमारी 100 डायल ही आती है l तो कहीं ना कहीं जनता हम पर विश्वास करती है, उस विश्वास को और हम मजबूत बनाएं l कमिश्नर साहब का ऐसा कहना था कि मानवीय संवेदनाओं के साथ यदि हम बात करेंगे तो और भी बेहतर होगा l उसके लिए भी हम लोगों ने कुछ काम शुरू किए हैं l
अपराधियों पर क्या आप मानते हैं कि खोफ बढ़ेगा?
अपराधियों की अगर बात करूं तो क्योकि जिला बदर से लेकर एनएसएस तक हमारे अधिकारियों के हाथ में है l हम बेहतर तरीके से जानते हैं कि उस आदमी ने क्या किया है और कैसे किया है, अपराधी को तो हम से डरना चाहिए, लेकिन एक आम आदमी को पुलिस से उतना ही प्रेम होना चाहिए और अपराधियों को हम से उतना ही खौफ करना चाहिए, जिला बदर आदि की कार्यवाही भी अब हम सख्ती से कर पाएंगे l
ड्रग्स की गिरफ्त में युवा वर्ग और महिलाएं भी आ रही हैं, इस पर आप का क्या नजरिया है?
किसी भी ड्रग्स को लेकर अगर बात करें तो कोई भी विभाग अकेले अपने दम पर कोई काम नहीं कर सकता l जनता का सहयोग बहुत जरूरी है,हमारा बच्चा रात को 12:00 बजे कहीं पार्टी में जा रहा है l तब हम देख रहे हैं क्या ? वह क्या खा पीकर आ रहा है किस व्यवस्था में आ रहा है, ड्रग सप्लायर की अगर बात करें तो ड्रग सप्लायर पेडलर इन सब को तो पुलिस अपने मुखबरी के माध्यम से खत्म करेगी, लेकिन अब एक आम परिवार का जो बच्चा है, बच्ची है l हम तमाम देखते हैं कि रात को पब में नशा कर रहे हैं, मैं सिर्फ बच्ची को सुधारने की बात नहीं करती हूं, लेकिन बच्चे और बच्ची दोनों को उनको मां-बाप को सुधारने की आवश्यकता है l आस-पड़ोस को भी देखने की जरूरत है कि बच्चा किस दिशा में जा रहा है l
क्या एक आम आदमी, आम जनता आप तक आसानी से पहुंच पाती है?
इस सवाल का जवाब तो अब परेशान व्यक्ति से ही पूछना पड़ेगा, लेकिन आम जनता मुझ तक आसानी से पहुंच पाती है यह मेरा मानना है l
अक्सर देखा गया है कि राजनीतिक हस्तक्षेप पुलिस प्रशासन के काम में होता है आप क्या मानते हैं ?
मुझे नहीं लगता है कि राजनीतिक हस्तक्षेप पुलिस प्रशासन के काम में होता है l एक व्यक्ति जब जनता के बीच से चुनकर जाता है l उसके लाखों वोटर होते हैं, जनता की सामान्य अपेक्षाएं उससे रहती है l सामान्य लोग पुलिस से भी भय खाते हैं.. और किसी जनप्रतिनिधि ने मुझे अगर किसी काम के लिए कह दिया l तो वह मैं इस तरह दबाव के रूप में नहीं देखती l मैं जनप्रतिनिधि को सही बात बताने की कोशिश करती हूं, अपना पक्ष सामने वाले को रखती हूँ, और फिर सही और गलत जो होता है l उसे देखा जाता है,जो संवैधानिक स्थिति होती है, उसके अनुसार हम लोग काम करते हैं l इसके अलावा मुझे नहीं लगता है कोई दबाव काम करता है।
सवाल :-घरेलू हिंसा में कौन दोषी है?
मुझे लगता है घरेलू हिंसा में जितना दोषी पति उतना ही सासुमाँ भी होती है, साथ ही दोष उस लड़की के मां और बाप का भी है l जब हमने लड़की ब्याह दी उसके बाद जो फोन की परंपरा चलती है l लगातार संपर्क करने की जो परंपरा है घर को टूटने का कारण यह भी होता है l पहले विवाह 20- 22 साल की उम्र में हो जाया करता था, तो एक प्रेम बना रहता था । सेल्फ डिपेंडेंट पति और पत्नी है वह एक दूसरे की सुनना ही नहीं चाहते, समझना ही नहीं चाहते l हम कई बार देखते हैं कि एक ईगो पॉइंट पर पूरा परिवार हिंसा पर चला जाता है, उलझा रहता है l जो नेचुरल परेशान महिला है जो दर्द से पीड़ित जो है, वह कई बार तो थाने तक भी नहीं पहुंच पाती हैl तो हमेशा के लिए पारिवारिक हिंसा के लिए हम केवल पुरुष वर्ग को दोषी नहीं मान सकते हैं l
सामाजिक बदलाव के लिए पुलिस का क्या मानना है?
सामाजिक बदलाव के लिए मेरा ऐसा मानना है कि पुलिस को अपना मित्र समझे, आप लोगों में कमियां ढूंढने लेंगेगे,कमियां मिलती जाएंगी l आप लोगों में खूबियां ढूंढने का प्रयास करें, अच्छाइयां सामने आएंगी l हमारा विभाग भी इसी समाज से आया हुआ है अगर हमारे विभाग का कोई कर्मचारी अच्छा काम करता है तो प्रशंसा का हकदार है l जनता अगर सकारात्मक वातावरण बनाएगी तो निश्चित रूप से सामाजिक बदलाव आएगा l
आदतन अपराधियों पर आप कैसे नियंत्रण करते हैं ?
आदतन अपराधी जो है वह समाज के लिए जहर है l उन पर बहुत सारी प्रतिबंधात्मक कार्यवाही बनी हुई है जो कानूनन पुलिस को अधिकार मिलता है, फिर चाहे वह जिला बदर या अन्य कानूनी कार्यवाही हो l वह पुलिस के पास है और उनका उपयोग भी करते हैं और अपराधी को जो है उसको हमारा खौफ होना चाहिए, उसके लिए हमें विधिक दायरे में रहकर काम करना चाहिए हम करते हैं l
पुलिस की छवि मात्र चालान बनाने तक की है इस पर आप क्या कहना चाहते हैं?
यह विषय यातायात पुलिस का है और मेरे क्षेत्र में इस तरह की कोई घटना नहीं हे इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहती हूँ l
आमजन को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
आम जनता को मेरे यही संदेश है कि पुलिस मित्र बनिए l अभी हम ने जो रिटायर्ड जो लोग होते हैं, घर में बुजुर्ग लोग जो होते हैं, जिनके बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं या नौकरी कर रहे हैं, अमेरिका में है या ऑस्ट्रेलिया में,वह पैसा तो भेजते हैं,लेकिन वहां पर अकेले हैं,कोई भी साथ नहीं, दो साल से कोविड-19 फंसे हुए, हमने ऐसे लोगों को एक ग्रुप तैयार किया और पुलिस के द्वारा उनको सहयोग किया गया l फिर मोहल्ले वालों से ही उनको सहयोग कराना प्रारंभ किया l तो इस तरह से नैतिक स्तर पर बदलाव की जरूरत है l हम आज शहर की संस्कृति में रहते हैं, पड़ोस में कौन रह रहा है, यह नहीं जानते l गांव में खुशी और गम में पूरा गांव साथ होता है हमें भी इसी तरह के सहयोग की जरूरत है l
आप के कार्यकाल में अपराध का ग्राफ बढ़ा या कम हुआ?
मेरे एक सवा साल के कार्यकाल में कोविड-19का कार्यकाल रहा l इसलिए संख्या कम रही थाने में एक्सीडेंटल मामले ज्यादा रहे l अपराध का ग्राफ 2019 में जो रहा वैसा ही रहा l