घरेलू हिंसा पर-
टीवी और मोबाइल ..जो टीवी सीरियल है जो सबसे ज्यादा इंटरनेट का यूज है, व्हाट्सएप इंस्टाग्राम इन सबके कारण आपस में घर में छोटी-छोटी बातों को लेकर मनमुटाव बढ़ता है और फिर वह घरेलू हिंसा में तब्दील हो जाता है तो हम कह सकते हैं कि आधुनिक संसाधन जो है वह घरेलू हिंसा के लिए कारण बन रहे हैं l
पुलिस प्रशासन में कसावट -
पुलिस प्रशासन में निश्चित रूप से कसावट आएगी l क्योंकि छोटे स्तर पर और पूरे शहर को 4 सेक्टर में बांटा गया है, और प्रत्येक सेक्टर में 8-8 थानों पर पुलिस अधीक्षक महोदय की स्थापना की गई है l जब 8 थानों पर सुपरविजन पुलिस अधीक्षक महोदय स्तर के अधिकारी करेंगे, तो निश्चित ऊपर से लेकर नीचे तक कसावट आएगी और व्यवस्थाओं में अच्छा सुधार होगा l
DGR @ एल.एन.उग्र (PRO )
इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है इसकी सफलता और पुलिस प्रशासन में इससे कसावट आएगी ?
इंदौर में जो कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है, उसके पीछे उद्देश्य यह है कि जो अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने का दायित्व है, वह अभी तक जिला बदर या एनएसए 107 या 110 बांड ओवर की जो कार्यवाही होती थी, उसके लिए एसडीएम महोदय कलेक्टर महोदय पर आश्रित रहना पड़ता था l उसमें हमारे यहां से प्रतिवेदन तैयार कर वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से एसडीएम साहब और कलेक्टर साहब के समक्ष प्रस्तुत होता था l तब उस पर विचार शुरू होता था, यह जो प्रक्रिया थी इसको सरलीकरण करते हुए यह सारे अधिकार पुलिस आयुक्त महोदय को दे दिए गए हैं l यह कम से कम समय में अधिक से अधिक कार्यवाही किए जाने और अपराधियों और अपराध पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से किया गया l
अपराध के ग्राफ में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है या बढे है ?
निश्चित रूप से कमी आई है वाहन चोरी,नकब जनी, मारपीट, हत्या के प्रयास और हत्या जैसे अपराधों में फिलहाल कमी आई है l
चूँकि आपका क्षेत्र वीआईपी है तो आमजन और वीआईपी में आप कैसे तालमेल बिठाते हैं ?
आम आदमी का जो रूटीन का कार्य और आम आदमी जो अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहता है l हमारे क्षेत्र में वीआईपी का मूवमेंट होता है,थोड़े समय के लिए वहां भी हमें अटेंड करना होता है,वे आते हैं उनके निकलने के बाद हम को फिर से आम आदमी के बीच और थाने पर आकर व्यवस्थाओं को संभालना होता है l
इंदौर में ड्रग्स का व्यापार बहुत बढ़ रहा है इससे युवा वर्ग में कितना हानी उठा रहा है ?
ड्रग्स के कारण सबसे ज्यादा युवा वर्ग ही प्रभावित है l और इसके सुधार के लिए लगातार ड्राइव चलाई जा रही है l पुलिस कमिश्नर महोदय द्वारा इस पर बहुत ही ज्यादा फोकस करके, सभी अधिकारियों को ऊपर तक के स्तर के सभी अधिकारियों को मीटिंग लेकर, इस बारे में बताया है l कि इसकी जो चैन है, इसको हर हालत में खत्म करना है l और कार्यवाही भी की जा रही है,इसके लिए एक रिहैब सेंटर भी बनाया गया है l सुधार केंद्र पर भेजा जाता है और पुलिस के द्वारा अच्छे प्रयास किए जाते हैं l
सुनने में आया है कि इस विषय में अंतर राज्य गिरोह भी सक्रिय है उस पर पुलिस कितनी सख्त है ?
उसके लिए नाकाबंदी है क्राइम ब्रांच की टीम लगातार काम कर रही है l क्राइम ब्रांच नारकोटिक्स ब्यूरो हैं, यह लोग लगातार इस पर काम कर रहे हैं l जो बड़े पैमाने पर अंतर राज्य गिरोह ड्रग्स की सप्लाई करते हैं, उनके ऊपर बराबर नजर रखते हैं, सूचना संकलन करते हैं और फिर पकड़ कर कार्रवाई करते हैं l
शहर में वरिष्ठ जनों की सुरक्षा के लिए पुलिस का क्या महत्वपूर्ण रोल होता है ?
शहर में वरिष्ठ जनों की सुरक्षा के लिए उनके सहयोग के लिए अतिरिक्त पुलिस उप आयुक्त श्री प्रशांत चौबे जी द्वारा लंबे समय से एक कार्यक्रम किया जा रहा है l जिसमें वरिष्ठ लोगों की पूरी सुनवाई होती है, जिसमें जैसे घर की कोई पारिवारिक परेशानी है, इलाज में कोई दिक्कत आ रही है, तो हॉस्पिटल में काफी कम खर्च में इलाज कराया जाता है l पुलिस के द्वारा काफी सकारात्मक प्रयास किए जाते हैं l
बाल अपराध को सुधारने के लिए पुलिस के क्या प्रयास है ?
बाल अपराध को सुधारने के लिए एक बाल संरक्षण अधिकारी होता है l जैसे बच्चों के संबंध में कोई शिकायत आती है,तो उसकी सुनवाई वह करते हैं, यदि बच्चे द्वारा कोई घटना घटित कर दी गई है l उसके लिए सिविल कपड़ों में रहकर पुलिस ड्रेस पुलिस वेशभूषा में नहीं रह कर l उसकी सुनवाई करते हैं, उसकी काउंसलिंग करते हैं, उसके बाद उनको बाल कल्याण समिति के समक्ष ले जाते हैं l वह लोग भी काउंसलिंग करते हैं उनका ब्रेनवाश करके उनको मुख्यधारा में लाने का प्रयास करते हैं l
ऐसा कोई अपराधी भी आपके समक्ष आया हो जब आपको चौकना पड़ा हो ?
हां ऐसे एक बार हुआ था मैं जब जबलपुर में था, तो एक छठवीं क्लास के बच्चे ने सातवीं क्लास के बच्चे के सीने में चाकू भोंक किया था l हालांकि उस बच्चे को वहां के जो जनप्रतिनिधि थे, तत्काल उनके सहयोग से मेडिकल कॉलेज में जाकर भर्ती कराया गया, ऑपरेशन करवाया गया, उसकी जान बचाई गई l उस घटना ने मुझे निश्चित रूप से अंदर तक झकझोर दिया था और सोच में पड़ा था कि कहीं ना कहीं यह बच्चों में गलत प्रभाव हो रहा है l
आपके क्षेत्र में चैन स्नैचिंग लूट डकैती की वारदातों पर कितना फर्क पड़ा है ?
हमारे क्षेत्र में लास्ट ईयर डकैती एक हाइलिंग सिटी में हुई थी l उसमें जो पीड़ित थे, उनके ही परिवार के कोई लोग सम्मिलित थे l जिनके षड्यंत्र से वह घटना हुई थी l बाकी चेन स्नेचिंग की घटनाएं होती है? उसको रोकने के लिए उसके लिए लगातार सुबह दोपहर शाम को पुलिस की पार्टियां बनाकर पेट्रोलिंग करा कर चारों तरफ से घेराबंदी की जाती है l फिलहाल हमारे क्षेत्र में इन गतिविधियों पर अंकुश लगा हुआ है।
न्याय प्रक्रिया जो होती है उसमें पुलिस का कितना सहयोग रहता है ?
कोई भी घटना घटित होती है थाने पर रिपोर्ट होती है, थाने में विवेचना के उपरांत न्यायालय में अभियोग पत्र पेश होता है l न्यायालय से समंस वारंट ईशु होते हैं उसको तामिल की करवाई कर, माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है या आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट जारी जारी होता है तो उसको गिरफ्तार करके पेश करना होता है l तो एक दूसरे के सहयोग से ही यह सब संभव हो पाता है न्यायालय के आदेश पर पुलिस कार्य करती है, पुलिस अपने दायित्व का निर्वहन करती है l
आम जनता की पहुंच आप तक कैसी है ?
आम जनता से लगातार संवाद करना पड़ता है,चौराहे पर खड़े होकर आसपास के जो लोग हैं, या कालोनियों में जनसंवाद के माध्यम से उनकी मीटिंग लेकर उनकी समस्याओं के बारे में सुनना और उन समस्याओं के निराकरण का प्रयास करना l यह सब एक दूसरे से बातचीत करके हम लोग एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं और प्रयास करते हैं कि लगातार संवाद बना रहे l