इंदौर में जिला उपभोक्ता आयोग की दो बेंच हैं...दोनों में करीब साढ़े तीन हजार प्रकरण विचाराधीन हैं...
उपभोक्ताओं से ठगी के मामले में न्याय आसान और सुलभ है...भले ही किसी दुकान से खराब गुणवत्ता का सामान खरीदा हो या किसी की सेवा में कमी हो...आनलाइन खरीदी में होने वाली ठगी के खिलाफ भी जिला उपभोक्ता आयोग तुरत-फुरत न्याय दिला रहा है...बीते समय में उपभोक्ता कानून में तमाम परिवर्तन भी किए गए हैं...खरीदी कहीं से की हो और विक्रय या विक्रेता का स्थल कोई भी हो...उपभोक्ता जहां रहता है...वहां के उपभोक्ता आयोग में संबंधित विक्रेता के खिलाफ मामला दर्ज करवा सकता है...सादे कागज पर शिकायत हो सकती है...सुनवाई के लिए वकील भी जरूरी नहीं है...उपभोक्ता खुद आयोग में अपना पक्ष रख सकता है...
इंदौर में जिला उपभोक्ता आयोग की दो बेंच हैं...दोनों में करीब साढ़े तीन हजार प्रकरण विचाराधीन हैं...
जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक एक के अध्यक्ष श्री बी.के.पालोदा जी के अनुसार आयोग में पांच लाख रुपये तक के दावे में कोई न्याय शुल्क भी नहीं लगता...
आनलाइन खरीदारी में धोखाधड़ी का शिकार व्यक्ति अपने निवास या व्यवसाय स्थल के करीब के जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करवा सकता है...भले ही कंपनी का मुख्यालय कहीं भी हो...शिकायत से पहले ग्राहक को अपने पक्ष में साक्ष्य एकत्रित कर लेना चाहिए ताकि धोखाधड़ी साबित करना आसान हो...
श्री पालोदा जी के अनुसार आयोग के अध्यक्ष को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी के समकक्ष अधिकार प्राप्त होते हैं...उपभोक्ता के पक्ष में आदेश के बावजूद अगर संबंधित कंपनी या पक्षकार उपभोक्ता को भुगतान नहीं करता है तो आयोग के पास दंडात्मक कार्रवाई करने के अधिकार भी होते हैं...आयोग को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के समान अधिकार प्राप्त हैं...
आदेश का पालन नहीं होने पर आयोग न्यूनतम एक माह सजा और 25 हजार रुपये तथा अधिकतम तीन साल कारावास और एक लाख रुपये तक जुर्माना लगा सकता है...यह रकम वसूली आदेश के अतिरिक्त होती है...आयोग पहले संबंधित के खिलाफ जमानती और फिर गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है...
इस तरह के मामलों में करें शिकायत...
किसी दुकानदार ने खराब गुणवत्ता का सामान दिया हो या दावे के अनुसार सेवा नहीं प्रदान की हो...विक्रय के बाद सर्विस...सुधार जैसी सेवा में कमी पर भी उपभोक्ता आयोग में शिकायत की जा सकती है...कई बार ऐसा होता है कि आनलाइन रुपये कट जाते हैं लेकिन सामान मिलता नहीं...ऐसे मामले में भी उपभोक्ता आयोग न्याय दिला रहा है...
आजकल आनलाइन भुगतान के माध्यमों का चलन है...कई बार दुकानदार या कोई आम नागरिक के पास भुगतान आने का मैसेज तो आता है लेकिन रुपया उसके खाते में नहीं आता...ऐसे में संबंधित व्यक्ति पहले उस पेमेंट गेटवे कंपनी की हेल्पलाइन पर शिकायत करे और फिर पैसा नहीं मिलने पर उपभोक्ता आयोग की शरण ले सकता है...किसे है कितना अधिकार जिला उपभोक्ता आयोग में 50 लाख रुपये तक की शिकायत सुनी जाती है...
50 लाख से ज्यादा के प्रकरणों में राज्य उपभोक्ता आयोग शिकायत सुनता है...वहां दो करोड़ रुपये तक की शिकायत सुनी जाती है...राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में दो करोड़ रुपये से ऊपर की शिकायत सुनी जाती है...
इतना लगता है न्याय शुल्क पांच लाख रुपये तक के दावे पर कोई न्याय शुल्क नहीं पांच लाख से 10 लाख रुपये तक 200 रुपये शुल्क दस लाख से 20 लाख रुपये तक 400 रुपये शुल्क 20 लाख से 50 लाख रुपये तक एक हजार रुपये शुल्क 50 लाख से एक करोड़ तक दो हजार रुपये शुल्क...एक करोड़ से दो करोड़ तक 2500 रुपये शुल्क दो करोड़ रुपये से चार करोड़ तक तीन हजार रुपये शुल्क चार करोड़ से छह करोड़ तक चार हजार रुपये शुल्क छह से आठ करोड़ रुपये तक पांच हजार रुपये शुल्क आठ से दस करोड़ रुपये तक छह हजार रुपये शुल्क दस करोड़ से अधिक होने पर 7500 रुपये शुल्क...
इंदौर
"उपभोक्ता" से ठगी की शिकायतों पर बिना वकील के मिल रहा न्याय...
- 29 Dec 2022