नई दिल्ली। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को एक बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने भी इसे हाई रिस्क का वैरिएंट बताया है। शुरुआती डेटा के मुताबिक यह अधिक संक्रामक हो सकता है और इस वैरिएंट पर टीके का भी कम असर हो सकता है। ऐसे में दुनिया भर के देश कोरोना वायरस के इस वैरिएंट से निपटने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने बताया है कि इस वैरिएंट को लेकर एक अच्छी बात ये है कि दुनिया में इस्तेमाल किए जा रहे RT-PCR टेस्ट के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है। हालांकि इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वैज्ञानिकों ने बताया है कि यह आसान नहीं है। भारत में अधिकतर RT-PCR टेस्ट ओमिक्रोन और अन्य वैरिएंट के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं हैं।
RT-PCR टेस्ट से इस बात की पुष्टि हो सकती है कि कोई कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं। लेकिन ये टेस्ट इस तरह से नहीं डिजायन किए गए हैं जिससे यह पता चल सके कि कोरोना के किस वैरिएंट से कोई संक्रमित है। इसका पता करने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग स्टडी करनी पड़ती है। सभी संक्रमित नमूनों को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजा जाता है, क्योंकि यह एक धीमी, जटिल और महंगी प्रक्रिया है। आम तौर पर सभी पॉजिटिव सैंपल का सिर्फ एक छोटा सबसेट - करीब 2 से 5 फीसद - जीन एनालिसिस के लिए भेजा जाता है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान
कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट RT-PCR टेस्ट को दे सकता है चकमा ?

- 30 Nov 2021