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इंदौर

कभी रोज जांच रहे थे आठ हजार सैंपल, अब महीनभर में भी इतने नहीं

  • 10 Jun 2022

इंदौर। कोरोना जैसे गंभीर महामारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग कितना लापरवाह है यह इसी से नजर आ रहा है कि बगैर कोई गाइड लाइन जारी किए उसने सैंपलिंग की संख्या कम कर दी है। किसी समय इंदौर में औसतन रोजाना आठ हजार सैंपल जांचे जा रहे थे लेकिन फिलहाल महीनेभर में भी इतने सैंपल नहीं जांचे जा रहे। न घर-घर सर्वे हो रहा है न संक्रमित मरीजों की कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है। यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं हो रही कि जो संक्रमित हुए हैं वे संक्रमण की चपेट में आए कैसे। इंदौर प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी है। पूरे प्रदेश से बड़ी संख्या में लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में कोरोना को लेकर बरती जा रही लापरवाही महंगी पड़ सकती है।
चिंता की बात यह है कि एक तरफ स्वास्थ्य विभाग ने सैंपलिंग घटा दी है दूसरी तरफ संक्रमण की दर लगातार बढ़ रही है। जून महीने के शुरूआती आठ दिनों में यह 5.92 प्रतिशत रह है। यह जनवरी-2022 के बाद से सबसे ज्यादा संक्रमण दर है। जनवरी 2022 के बाद संक्रमण दर में गिरावट आने लगी थी। फरवरी और मार्च में यह जारी रही लेकिन अप्रैल से संक्रमण दर में बढ़ोतरी होने लगी। अप्रैल में यह 1.08, मई में 1.94 और जून में 5.92 पर पहुंच गई। सैंपलिंग को लेकर किस तरह लापरवाही है यह इसी से साबित हो जाता है कि जनवरी में इंदौर में तीन लाख 15 हजार से ज्यादा सैंपल जांचे गए थे लेकिन मई में यह संख्या आठ हजार तक भी नहीं पहुंच सकी। जून के आठ दिन में भी सिर्फ 1554 सैंपल जांचे गए।