बॉस्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में लगा सिल्क एक्सपो
इंदौर। दिसम्बर की ठंड में कश्मीर के गर्म शालों से बेहतर कोई ऑप्शन नही है। कश्मीरी शालों और दूसरे वूलन आउटफिट्स की कई वेरायटी देखी जा सकती हैं ।
श्रीनगर से आए मूसा कश्मीरी कई रंगों में कानी शॉल लेकर आए हैं। पश्मीना ऊन से अपनी महीन बुनाई और कम वजन की वजह से ही ये खास है। प्रधानमंत्री मोदी भी ये शॉल पसन्द करते हैं। एक शॉल को तैयार होने में करीब छह महीने लगते हैं और इनकी कीमत दो हजार से दो लाख तक होती है। मूसा कश्मीरी पश्मीना की निडिल वर्क वाली शॉलें भी लाए हैं। बारीक एम्ब्रायडरी से सजी इन शालों कीमत भी 10 हजार से डेढ़ लाख तक है।
पश्मीना दरअसल बकरी की नस्ल है जो लद्दाख में पाई जाती है यह बकरी शून्य से नीचे के तापमान वाले क्षेत्र में ही रहती है। एक बकरी से साल भर में कुछ ग्राम ऊन ही मिलता है, इसलिये पश्मीना को पालने वाले उसके ऊन को सोने की तरह सहेज कर रखते हैं। कश्मीर के बडग़ाम से आए सब्जार अहमद और ईशान नजर कश्मीरी एम्ब्रॉयडरी और फर की कॉलर वाले खूबसूरत पोंचो भोठ लाए हैं जो यंग गल्र्स और टीनएजर्स को बहुत भा रहे हैं। ईशान वुलन साडिय़ां भी लाए हैं जिनके साथ मैचिंग स्टोल भी हैं। कश्मीरी वूलन सलवार सूट्स हमेशा की तरह सदाबहार हैं ही।
बनारस और भागलपुर का सिल्क
सिल्क एक्सपो में बनारस की कतान सिल्क की जरी की साडिय़ां महिलाओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। बनारस के सलमान इनके साथ ही बनारसी जारी के दुपट्टे और सूट भी लाए हैं। उनके पास तनछुई साडिय़ों का अच्छा क्लेक्ष्न है। बनारस से ही आए जारी वर्क वाले बैग्स भी आकर्षक हैं। भागलपुर से सिल्क का ड्रेस मटेरियल और हैंड प्रिंटेड कुर्ते दुपट्टे हैं। मेरठ के जीशान हैंडलूम कॉटन के रेडिमेड कुर्ते और पेंट्स लेकर आए हैं।
इंदौर
छह महीने लगते हैं कश्मीर की कानी शॉल तैयार होने में
- 05 Dec 2022