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इंदौर

दिव्य शक्ति पीठ दानियों के द्वारा बनाया गया पवित्र स्थान है - अवधेशानंदजी

  • 02 Jun 2022

- महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी ने दिव्य शक्ति पीठ में श्रद्दालुओं को दिए आशीर्वचन
इंदौर। हमारी संस्कृति 16 संस्कारों से मिलकर बनी है और इन 16 संस्कारों का आधार दान है। जब दैत्यों ने ईश्वर की उदारता देखी तो उनके मन में भी सद्भाव पैदा होने लगे और उन्होंने ईश्वर से कोई वरदान मांगने के बजाए ज्ञान माँगा तब स्वयं ईश्वर ने उन्होंने कहा कि दैत्यों के लिए दया, देवताओं के लिए बुराइयों का दमन और मानवों के लिए दान ही धर्म का आधार है। इसलिए आपके पास, धन, धान्य (भोजन), कपड़े, जमीन, जो कुछ भी अतिरिक्त हो उसे दान कर दीजिये।
सैकड़ों भक्त पहुंचे मंदिर
स्वामी अवधेशानंद जी के आशीर्वचन सुनने के लिए मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों का ताँता लगा हुआ था। नवजात बच्चों और युवाओं से लेकर व्हीलचेयर पर भी कई बुजुर्ग उन्हें सुनने और दर्शनं के लिए मंदिर परिसर में पहुंचे। भीड़ देखकर स्वामी जी ने सभी को क्रमबद्ध तरीके से आने के लिए कहा। मंदिर परिसर में पहुंच कर स्वामी जी ने देवी के दर्शन किये और एक छोटे बच्चे द्वारा दिए गए पुष्प गुच्छ को माता को अर्पित किया। मंदिर में भक्तों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि ह्यदेवी की आराधना मौन रहकर ही की जा सकती है। मौन में बहुत शक्ति होती है इसलिए आप सभी भी मौन रहकर देवी का ध्यान कीजिये।
मां दुर्गा, मां लक्ष्मी का ही स्वरुप है
मंदिर परिसर में स्वामी अवधेशानंद जी ने दिव्य शक्ति मंडल की सचिव डॉ दिव्या गुप्ता जी से मंदिर के बारे में जानकारी ली। दिव्या जी ने बताया कि मंदिर में अष्टादशभुजा (अठारह भुजाओं वाली) दुर्गा / महालक्ष्मी, दशभुजा (दस भुजाओं वाली) महाकाली और अष्टभुजा (आठ भुजाओं वाली) महासरस्वती की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा हाल ही में विधि-विधान से संपन्न हुई है। उनकी बात सुनकर स्वामी अवधेशानंद जी ने कहा कि जिस तरह राम और कृष्ण नारायण स्वरुप है उसी तरह शेर पर सवार माँ दुर्गा, माँ लक्ष्मी का ही रूप है। इसे लेकर कई बार मतभेद होते हैं इसलिए आज मैं भारत के प्रथम आचार्य के पद पर रहकर सभी की शंकाओं को दूर कर रहा हूँ।