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इंदौर

दूसरे के नाम से मेडिकल परीक्षा देने वाले को सात वर्ष का कठोर कारावास

  • 01 Nov 2022

 इंदौर । दूसरे के नाम से प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) देने वाले आरोपित विनय कुमार मेहता को सीबीआइ कोर्ट ने सात साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोपित पर दस हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। जिस व्यक्ति के नाम से आरोपित परीक्षा दे रहा था, उसे पूर्व में ही सजा सुनाई जा चुकी है। मामला 2004 में हुई पीएमटी का है। खंडवा के नीलकंठेश्वर महाविद्यालय में परीक्षा के दौरान जांच दल ने आरोपित विनय कुमार मेहता को गिरफ्तार किया था। वह किसी शिशुपाल यादव नामक छात्र के नाम से परीक्षा में शामिल हुआ था। जांच के दौरान यह भी पता चला कि अजीत सिंह नामक व्यक्ति ने इस गड़बड़ी में मध्यस्थता की थी। पुलिस ने शिशुपाल, अजीत सिंह और विनय कुमार मेहता को गिरफ्तार कर तीनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। जमानत पर रिहा होने के बाद विनय कुमार फरार हो गया था। वर्ष 2013 में खंडवा कोर्ट ने इस मामले में आरोपित शिशुपाल को पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। 2015 में सीबीआइ को सौंपी थी जांच - सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2015 में पूरे मामले को सीबीआइ को सौंप दिया गया।
 प्रकरण की सुनवाई भी खंडवा न्यायालय के बजाय विशेष न्यायालय इंदौर को स्थानांतरित कर दी गई। सीबीआइ ने फरार विनय कुमार मेहता को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया। विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने बताया कि प्रकरण में 17 गवाहों के बयान करवाए गए। सोमवार को विशेष न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने आरोपित विनय कुमार को सात वर्ष कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।