गुना। जिले में यदि कोई व्यक्ति किसी से जबरन काम कराते हुए पाया गया, तो इस कृत्य को बंधुआ मजदूरी मानते हुए संबंधित के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई जाए। साथ ही बंधुआ मजदूर के पुर्नवास की व्यवस्था कराएं। किसी भी व्यक्ति से दबावपूर्वक कार्य कराया जाता है, खाने-पीने की सुविधा नहीं दी जाती है, यातना दी जाती है, तो वह बंधुआ मजदूरी की श्रेणी में आएगा। इसके लिए जिले में अभियान चलाया जाए। यह निर्देश कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए. ने बुधंआ मजदूर संबंधी जिलास्तरीय सतर्कता समिति की बैठक के दौरान दिए। इस दौरान बंधक श्रम प्रथा समाप्ति अधिनियम के तहत बंधक श्रमिकों के चिन्हांकन, विमुक्ति एवं पुर्नवास के संबंध में चर्चा की गई। बैठक में जिपं सीईओ निलेश परीख सहित जिले के अधिकारी उपस्थित रहे। इस मौके पर श्रम पदाधिकारी ने बताया कि अधिनियम के तहत जिले में यदि बंधुआ मजदूर की सूचना मिलती है, तो उन्हें विमुक्त कराने कार्रवाई की जाती है। इसके साथ ही 20-20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता तत्काल दी जाती है। संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध, जो उन्हें बंधक बनाए हुए था, प्रकरण दर्ज होता है। प्रकरण का निराकरण अदालत से हो जाने के बाद प्रत्येक व्यक्ति को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता एवं महिलाओं को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। जिले में अभी तक 20 बुधंआ मजदूर को विमुक्त कराया गया है। बैठक में बताया गया कि यदि किसी भी अधिकारी या व्यक्ति को जानकारी मिलती है कि किसी व्यक्ति से दबावपूर्वक काम कराया जा रहा है, तो उसकी सूचना संबंधित एसडीएम, तहसीलदार, थाना या श्रम पदाधिकारी को दें, तत्काल कार्रवाई की जाएगी। श्रम पदाधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान 135 बाहर से लौटे थे, 128 ने रोजगार के लिए पंजीयन कराया था, जिनमें से 117 लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया। कलेक्टर ने एसडीएम, तहसीलदार, सीईओ जनपद, सभी सीएमओ को बंधुआ मजदूरी की सूचना पाते ही उन्हें विमुक्त कराने की कार्रवाई कर मजदूरों का पुर्नवास के निर्देश दिए।
गुना
दबावपूर्वक और जबरन काम कराना बंधुआ मजदूरी
- 26 Jul 2021