इंदौर। शहर के पर्यावरण को बेहतर रखने निगम के साथ आरटीओ भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। दस साल पुराने सीएनजी और पेट्रोल से चलने वाले आटो रिक्शा का जिले से बाहर करने की तैयारी की जा रही है। इन रिक्शाओं की सूची आरटीओ तैयार कर रहा है। आरटीओ में जो पुराने रिक्शा पूर्व से रजिस्टर्ड हैं, उनमें से कई खराब होकर खड़े हैं तो कई चलन से बाहर हो गए हैं। इसलिए नए सिरे से उनका सर्वे किया जा रहा है। कई स्थानों पर कुकुरमुत्तों की तरह ई रिक्शा की एजेंसी खुल गई है। इन एजेंसियों से रोज ई रिक्शा सड़क पर आ रहे हैं। यह रिक्शा बैटरी चलित होने से न्यूनतम किराए में सवारी को गंतव्य छोड़ रहे हैं। 5 फीट की गलियों में भी ई रिक्शा आसानी से प्रवेश करने लगे हैं, जिससे यात्रियों की यह पहली पसंद बनता जा रहा है। इसके उलट, पुराने रिक्शा पेट्रोल और सीएनजी से चलने के कारण किराया अधिक वसूलते हैं। कई रिक्शा तो मीटर से अधिक किराया वसूलते हैं तो कुछ रिक्शा बगैर परमिट और फिटनेस के सरपट गति से दौड़ रहे हैं। ई रिक्शा के संचालित होने से पुराने रिक्शा का धंधा प्रभावित हुआ है। उधर, रोजाना नए रिक्शा सड़क पर आने से आरटीओ का रिकार्ड ठीक से मेंटेन नहीं हो पा रहा है।
- पुराने रिक्शाओं से कई बार प्रदूषण को नुकसान होता है। जानकारी मिली है कि बगैर परमिट के चल रहे हैं। किराया भी मनमाना वसूल रहे हैं। इन रिक्शाओं की जानकारी मुख्यालय मांगी है, इसलिए सर्वे किया जा रहा है। रिक्शा को लेकर निर्णय मुख्यालय ही लेगा।
प्रदीप शर्मा, आरटीओ।