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रतलाम

नए मेडिकल कॉलेजों पर आर्थिक संकट, जिन डॉक्टर-नर्स के भरोसे कोविड से लडऩे की तैयारी, उन्हीं को तीन महीने से वेतन नहीं

  • 15 Jan 2022

रतलाम। प्रदेश के रतलाम, दतिया, खंडवा, विदिशा सहित अन्य नए मेडिकल कॉलेजों का स्टाफ मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कोविड से जंग में फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका निभाने वाले डॉक्टर और नर्सों को तीन माह से वेतन ही नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन, इस लड़ाई के सबसे बड़े योद्धा यानी डॉक्टर और नर्स दोहरे संकट से लड़ रहे हैं।
दरअसल, रतलाम, दतिया, खंडवा, विदिशा सहित प्रदेश के नए मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ को तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है। इसके चलते चिकित्सा से जुड़े करीब 2 हजार और 3 हजार से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ का गुजारा मुश्किल हो गया है। बिना सैलरी के नर्सिंग स्टाफ का यह चौथा महीना गुजर रहा है, वहीं, चिकित्सा शिक्षकों का तीसरा महीना जारी है। अधिकारी इसके पीछे बजट नहीं होने का हवाला दे रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में 2018 और 2019 में 7 नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं। इनमें विदिशा, दतिया, खंडवा, रतलाम की शुरुआत 2018 में हो गई थी। वहीं, शहडोल, शिवपुरी और छिंदवाड़ा के मेडिकल कॉलेज 2019 में शुरू हुए थे।
रतलाम में डीन से गुहार लगा चुकीं नर्स
रतलाम मेडिकल कॉलेज में ही 650 के स्टाफ को सैलरी नहीं मिली है। इस मामले में नर्सिंग एसोसिएशन डीन के पास पहुंचा था। नर्सों ने यह तक कह दिया कि उनके पास किराया भरने के रुपए नहीं बचे हैं। मकान मालिक मकान खाली करने का कहने लगे हैं।
चार साल में भी रतलाम कॉलेज का अस्पताल शुरू नहीं
रतलाम मेडिकल कॉलेज को शुरू हुए 4 साल हो गए हैं पर इसका 750 बेड का अस्पताल अब तक चालू नहीं हुआ है। 26 अगस्त को सीएम रतलाम आए थे, तब उन्होंने अस्पताल जल्द चालू करने को कहा था।
प्रदेशाध्यक्ष बोले- असंवैधानिक तरीके से सोसायटी में तब्दील किया
प्रदेश के नए मेडिकल कॉलेज में सैलरी नहीं मिल रही है। चिकित्सा महाविद्यालय गलत नीति के तहत एक सोसायटी में तब्दील कर दिया है, जोकि असंवैधानिक है। इसमें वेतन ग्रांटेड हेड से देना शुरू कर दिया है, यानी दैनिक वेतनभोगी की तरह, जबकि शासकीय सेवकों के हेड की तरह आना चाहिए। मप्र में 2 हजार चिकित्सा शिक्षक प्रभावित हैं। - डॉ. सुनील अग्रवाल, प्रदेशाध्यक्ष, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन