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इंदौर

नगर निगम में 28 करोड़ के फर्जीवाडें में नया खुलासा- अफसरों ने  ई-नगर पालिका पोर्टल पर भी लोड कर दिए थे बिल .....

  • 27 Apr 2024

एमजी रोड पुलिस ने मामले की जांच प्रारंभ की
इंदौर।  इंदौर नगर निगम के 28 करोड़ के फर्जी वाडे में पहले दिन से ही यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि यह मामला अधिकारियों की मिली भगत के बगैर नहीं हो सकता है। अब यह बात धरातल पर स्थापित भी होने लगी है। निगम के अधिकारियों ने ई - नगर पालिका पोर्टल पर भी 28 करोड़ के यह बिल लोड कर दिए थे। अब उन अधिकारियों से जवाब मांगा जा रहा है जिनके कंसोल से बिल लोड किए गए थे।
 यह फजीर्वाड़ा नई परत के खुलने साथ तेजी से गहराता जा रहा है। इस पूरे फर्जी वाडे का ठीकरा लेखा शाखा के माथे पर फोडऩे की कोशिश भी दम तोड़ती हुई नजर आ रही है। लेखा शाखा के दो कर्मचारियों को इस शाखा से हटाए जाने के बाद  इस मामले में नया और चौकाने वाला खुलासा हुआ है। अब तक तो यह कहा जा रहा था कि इस तरह का फर्जीवाड़ा अधिकारियों की मिली भगत के बगैर नहीं हो सकता है लेकिन अब यह बात स्थापित होती हुई नजर आ रही है।
पुलिस ने मामले की जांच शुरु की ...
जानकारी के मुताबिक 28 करोड़ के जो फर्जी बिल तैयार कर अधिकारियों के हस्ताक्षर के साथ आडिट विभाग में भेजे गए और फिर वहां से पास होकर यह बिल भुगतान के लिए निगम के लेखा विभाग में पहुंचे थे। इस बिल को लेकर अब तक अधिकारियों का कहना था कि स्वीकृत बिल पर उनके हस्ताक्षर फर्जी है। पुलिस एमजी रोड में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के साथ इस मामले की जांच शुरू हो गई है। अब अधिकारियों की भूमिका भी इस पूरे मामले में निकलकर सामने आने लगी है।
बिलों का होता है मिलान .....
इस मामले की जांच जिससे जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि 28 करोड़ के यह फर्जी बिल ई-नगर पालिका के पोर्टल पर भी लोड कर दिए गए थे। वर्ष 2022 में ई नगर पालिका का सिस्टम शुरू हुआ था। उसके बाद से यह प्रक्रिया है कि ऑडिट से बिल पास होकर जब लेखा शाखा में आता है तो उस बिल का ई नगर पालिका पर लोड किए गए बिल से मिलान किया जाता है। यदि दोनों बिल की राशि में कोई अंतर होता है तो इस अंतर को सही करने के लिए बिल को संबंधित विभाग में भेज देते हैं। यदि अंतर नहीं होता है तो उसे बिल को भुगतान के लिए भेज दिया जाता है। 28 करोड़ के यह चर्चित बिल भी अधिकारियों के द्वारा ई नगर पालिका पोर्टल पर लोड कर दिए गए थे। जब ऑडिट विभाग से पास होकर यह बिल लेखा शाखा में पहुंचे तो फिर मिलान किया गया। इस मिलान में यह बिल बराबर निकले।