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इंदौर

पत्नी को भावनात्मक और अन्य लगाव नहीं, केवल घर में काम करने के लिए बस रखा है: ये कैसा रिश्ता

  • 25 Nov 2022

मेरे जैसे इंसान को इस परामर्श सत्र में आना पड़ रहा है! अब क्या बोलूं मैं? ये कथन सही है या गलत??? समाज को सोचना चाहिए कि परिवार और विवाह जैसी संस्था का वर्तमान और भविष्य क्या है? कान्हा चला गया वो धैर्य और समझदारी? क्यों मर्दों का अहंकार रिश्तों को जोड़ना नही चाहता???? क्यों रिश्तों में इतना खोखलापन और दूरियां आ गई है? क्यों केवल स्वार्थ पूर्ति और मशीनीकृत जीवन प्रणाली के भेंट चढ़ रहे हैं रिश्ते???
एक ऐसी कहानी जिसके सच और झूठ पर पंहुचना बहुत मुश्किल हुआ वन स्टॉप सेंटर इंदौर की प्रशासक डॉ वंचना सिंह परिहार और परामर्शदात्री अलका    फनसे को, केवल पति पत्नी को उनके विवेक के अनुसार मध्यस्थता करते हुए निर्णय पर पंहुचने की सलाह दी और दोनो पति पत्नी फिलहाल तो साथ में रहने के लिए तैयार हुए और वन स्टॉप सेंटर से साथ में अपने घर गए ,,प्रकरण में अंजली (परिवर्तीत नाम) ने वन स्टॉप सेंटर के बारे में न्यूज पेपर में पढ़ कर डायरेक्ट आवेदन दिया। कार्यालय आकर उसने केवल प्रशासक से मिलने की जिद की ,क्योंकि उसको ये भी समझ नही आ रहा था कि वो अपने प्रकरण में क्या करे,, वो पति से नाराज होकर अपने मायके के रिश्तेदार आई थी और उसके पति और ससुराल वालो ने पूरी रिश्तेदारी में  यह बोल दिया था कि उनकी बहू तो किसी के साथ भाग गई है। अंजली बहुत परेशान हो रही थी कि ऐसी परिस्थिति में वो क्या करे। जब वो वन स्टॉप सेंटर में कॉल करी तो उसको प्यार से समझाया गया कि आप ऑफिस आ जाओ प्रशासक से ही आपको मिलवाया जायेगा, तब उसने फिर पूछा कि मेरे घर वालो को तो पता नही चलेगा कि मै आपके कार्यालय आई थी,तब उसको समझाया गया कि जब तक आप नही कहोगी तब तक किसी को भी नही बताया जाएगा। फिर अंजली 4 दिन बाद छावनी स्थित वन स्टॉप सेंटर पर पंहूची और उसने अपनी आप बीती प्रशासक को बताई। 2 साल शादी के होने वाले हैं,लेकिन पति की तरफ से वो प्यार -सम्मान नही मिला जो एक पत्नी को मिलता है,,शारीरिक हिंसा तो जो है वो अलग बात  है लेकिन भावनात्मक हिंसा इतनी ज्यादा है  कि दिमाग अब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। प्रशासक डॉ परिहार को समझ आ चुका था कि मुद्दा मनोवैज्ञानिक के पास भेजे जाने वाला है, केसवर्कर शिवानी श्रीवास द्वारा पूरा प्रकरण तैयार कर ,  क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट सुश्री अल्का फनसे को पूरा प्रकरण सौंपा गया। परामर्श सत्र प्रारंभ होने के लिए जब पति सुशांत (परिवर्तित नाम) को कार्यालय बुलाया गया तो सुशांत किसी भी प्रकार से सहयोग करने को तैयार नहीं हो रहे थे,चूंकि अंजली अपने पति से केवल सम्मान और भावनात्मक लगाव की इच्छा कर रही थी इसलिए उसने केवल परामर्श की ही बता की थी,और ऐसे संवेदनशील पारिवारिक मुद्दो पर सख्ती नही दिखाई जा सकती ,ऐसा सोचकर कार्यलय के द्वारा सुशांत को बार बार रिक्वेस्टिग मोड पर ही कार्यालय आने को बोला जा रहा था , अंततः बहुत मुश्किल से सुशांत कार्यालय पंहुचे और साथ में उनके 2 रिश्तेदार भी आए लेकिन माताजी नही आई। परामर्श सत्र प्रारंभ हुआ,किंतु सुशांत का इतना अहंकार कि वो कार्यालय में भी किसी भी बात को समझने को तैयार नहीं कि उसकी पत्नी को कितनी समस्या हो रही है उसके और उसके परिवार के व्यवहार से। दिनभर परामर्श का दौर चलता रहा लेकिन कोई निष्कर्ष नही निकला , फिर अंजली और सुशांत के मध्य ये हुआ कि अगले सत्र के लिए समय दिया जाए जिससे दोनो को अकेले में एकदुसरे के बारे में सोचने और समझने का मौका मिल जायेगा। दुबारा फिर अंजली कार्यालय में आकर सुशांत का इंतजार कर रही थी लेकिन सुशांत नही आया,फिर सुशांत ने कहा मै नौकरी वाला हूं वर्किंग घंटो मे नही आऊंगा,तब परामर्शदात्री अलका जी ने कहा ठीक है आप अपना समय बताओ हम उसी समय पर सत्र का आयोजन कर लेंगे ,सुशांत ने कहा कि सुबह 9 बजे ही मैं आऊंगा,तब परामर्श सत्र का आयोजन सुबह 9 बजे किया गया,अब 2 घंटे परामर्श के पश्चात जिन बातों पर दोनो की सहमति बनी, कि सुशांत चाहते हैं कि अंजली नौकरी करे इसके लिए अंजली कोचिंग करेगी और अच्छे से पढ़ाई करेगी और सरकारी नौकरी में चयनित होने का पूरा प्रयास करेगी, सुशांत अपनी पत्नी की भावनाओ को समझेंगे और परिवार में भी उसको इज्जत सम्मान दिलवाएंगे। किंतु अंत अंत में सुशांत ने फिर कह दिया कि मै किसी भी समझौते पत्र पर हस्ताक्षर नही करूंगा ,अंजली को मेरे साथ चलन है बिना किसी शर्त के चले। अंजली को तो अब कुछ समझ ही नही आ रहा था उसने कार्यलय में रोना प्रारंभ कर दिया कि मैडम मुझे तो आप परिवार बचाना है ,मैं क्या करूं?परमर्शदात्री ने प्यार से समझाया कि थोड़ा शांति से सोचो समझो और जो दिल कहता है वो करो।
ऐसे में अंजली ने कहा कि मै सुशांत के साथ घर जाऊंगी और अपने रिश्ते को एक और मौका दूंगी। यदि फिर भी नही सुधारा रिश्ता तब कुछ और सोचूंगी। इस प्रकार अंजली अपने पति सुशांत के साथ उसके घर गई।