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इंदौर

परिवार को जोडऩे में भी मददगार हो रही है जनसुनवाई

  • 05 Jan 2023

इंदौर। राज्य शासन के निर्देशानुसार प्रति मंगलवार आमजनों की समस्याओं के निराकरण के लिए जनसुनवाई आयोजित की जा रही है। इस जनसुनवाई में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी सहित अन्य अधिकारी हर सप्ताह सैकड़ों नागरिकों की समस्याओं को सुनकर उनका यथासंभव निराकरण कर रहे हैं। जनसुनवाई के सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। शासन-प्रशासन की मानवीय संवेदना और सामाजिक जवाबदेही भी निराकरण में दिखाई दे रही है। ऐसा ही एक उदाहरण छोटी-छोटी गलतफहमियों को दूर कर पति-पत्नी को एक साथ रहने के लिए राजी करने के  मामले में दिखाई दिया।
कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी के नेतृत्व में हर मंगलवार कलेक्ट्रेट में होने वाली जनसुनवाई में महिला बाल विकास विभाग की ओर से जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रामनिवास बुधोलिया तथा वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक डॉ. वंचना सिंह परिहार पूरे दिन उपस्थित रहकर प्रकरणों के निराकरण तथा सहायता एवम् समाधान के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। इसी कड़ी में एक प्रकरण आया, जिसमें महिला बहुत ज्यादा परेशान हो रही थी, साथ ही तनाव के कारण उसका दु:ख अब गुस्से में परिवर्तित होकर सामने आने लगा था। उसे कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी द्वारा वन स्टॉप सेंटर पर परामर्श के लिए भेजा गया।
तत्काल कार्यवाही करते हुए वन स्टॉप सेंटर प्रशासक डॉ वंचना सिंह परिहार ने उसकी सारी बात ध्यान से सुनी। इसके पश्चात परामर्शदात्री सुश्री अलका फडसे को परामर्श हेतु कहा गया। पति शराब का आदि होकर पत्नी से मारपीट करना, बच्चों और पत्नी को समय न देना, पत्नी के परिजनों को अपशब्द कहना इन सभी बातों से युवती अत्यंत परेशान एवम् टूटी हुई थी। पर दो बेटों के होने से वह रिश्ते को निभा रही थी। 24 वर्ष की उम्र में इतने कड़वे अनुभव लेकर वह बड़ी उम्मीद से आई थी की कुछ हल निकल सके, नही तो भरण पोषण मिल सके। विगत 4 माह से अपने मायके में रह रही थी। पूर्व में वह कई बार थाने पर मारपीट के खिलाफ शिकायत कर चुकी थी, परंतु कोई हल नहीं  निकला था। पति को भी बुलाया गया, उसका भी पक्ष सुना गया। पति की शिकायत थी की पत्नी का पीहर बिलकुल नजदीक होने से पत्नी बार-बार घर चली जाती है। मैं दिन भर काम करके आता हूं तो आते ही पत्नी झगड़ा करती है। मैं पहले इतनी शराब नही पीता था पर इसके  लड़ाई-झगड़े से परेशान होकर ज्यादा पीने लगा।
सर्व प्रथम तो उसे ताकीद दी गई की किसी भी परिस्थिति में पत्नी पर हाथ उठाने का तुम्हे न धर्म , न कानून न इंसानियत इजाजत देती है। इसके आगे अगर तुमने पत्नी पर हाथ उठाया तो सख्त कार्यवाही के लिए तैयार रहना। उसके पश्चात परामर्श के दौर हुए जिसमें एकल व संयुक्त परामर्श हुए। पति का बिलीफ सिस्टम ही इतना दोषपूर्ण था की उसे अपनी गलतियों का एहसास ही नहीं था। चर्चा के दौरान कई मुद्दों की जड़ तक जाकर चर्चा हुई। पत्नी को उसके द्वारा सतत पहुंचाई जा रही ठेस के कारण कैसे पत्नी बुरी तरह आहत हुई और अब क्यों उसकी सहन शक्ति जवाब दे गई है, इसलिए तुम सामने आते ही वो बिफर जाती है। तुमने उसे इस स्थिति में पहुंचाया है तो अब उसे तुम ही प्यार से व्यवहार करके बाहर निकाल सकते हो।
पत्नी को भी समझाया की पति की शराब की आदत अगर बढ़ रही है तो उसे एक बीमारी समझ कर तुम्हे उनको सहयोग कर इस आदत से बाहर निकालना होगा। सिर्फ झगड़ा करने से उसकी लत नहीं मिटेगी। फिर दोनों को साथ लेकर योजना बनाई गई, जिस पर अमल करने पर दोनों सहमत हुए। पति ने कहा अगर इस तरह कोई पहले ही समझा देता तो ये नौबत ही नहीं आती। मैं गलत था, मुझे लगता था की पत्नी को मेरे हिसाब से ही चलना चाहिए। मार दिया तो क्या हुआ, अब बाते समझ आ रही हैं। दोनों को 2 माह के लिए खुद में कुछ बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहन दिया गया जिसके बाद वे समाधानपूर्वक साथ रहने पर राजी हुए।