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इंदौर

बाजारों में शुरू हुआ कारोबार का नया साल, मुहूर्त में हुए सौदे

  • 29 Oct 2022

इंदौर। सरकारी कानून और कायदों के हिसाब से भले ही नया वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता है, लेकिन इंदौर के प्रमुख बाजारों में आज भी कारोबारी नए साल की शुरूआत दीपावली के बाद होती है। शुक्रवार को इंदौर के प्रमुख थोक बाजारों में कारोबारी नए साल की शुरूआत हुई। थोक कपड़ा बाजार से लेकर किराना के सबसे बड़े थोक बाजार सियागंज और छावनी के चावल व्यापारियों ने दीपावली के बाद का पहला व्यापार किया। दशकों से चली आ रही परंपरा का पालन करते हुए नए कारोबारी साल के पहले सौदों में न केवल मुहूर्त का ध्यान रखा गया, बल्कि कारोबार से पहले सामूहिक लक्ष्मी पूजन भी हुआ।
कारोबारी परंपरा के अनुसार व्यापार का नया वर्ष दीपावली के बाद शुरू होता है। दीपावली के पहले पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र पर कारोबारी नए बही-खाते खरीदते हैं। दीपावली पूजन में नए बही-खातों की पूजा होती है। दीपावली के बाद के मुहूर्त के साथ ही इन बही-खातों में कारोबारी हिसाब लिखना भी शुरू हो जाता है। परंपरा है कि पुराने बही-खातों को बंद करने के साथ उधार और लेन-देन का हिसाब भी चुकता कर लिया जाता है। प्रदेश के सबसे बड़े थोक किराना बाजार सियागंज में शुक्रवार को सियागंज होलसेल किराना मर्चेंट एसोसिएशन ने महावीर चौक में सामूहिक लक्ष्मी पूजन किया। इसके बाद व्यापारियों, दलालों ने उत्साहपूर्ण माहौल में नववर्ष के सौदों की शुरूआत की।
सालों से चली आ रही परंपरा
सियागंज एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल और महामंत्री प्रीतिपाल टोंग्या का कहना है कि सालों से चली आ रही मुहूर्त की परंपरा में इस साल भी वरिष्ठ और युवा व्यापारियों द्वारा लक्ष्मी पूजन कर मुहूर्त के सौदे की शुरूआत की गई। मुहूर्त के सौदों में इस बार इंदौर के लोकल व्यापारियों के साथ ही इंदौर के आसपास के क्षेत्रों के व्यापारियों ने भी हिस्सा लिया। नए साल के पहले सौदों में कारोबारी शगुन का भी खासा ध्यान रखते हैं। सबसे पहले सौदे हल्दी, धनिया और गुड़ के किए जाते हैं। कारोबारी नईम पालवाला के अनुसार, संपदा और लाभ की प्रतीक ये वस्तुएं लक्ष्मी पूजन में भी रखी जाती हैं, इसलिए कारोबारी वर्ष की शुरूआत भी इन्हीं से होती है ताकि बाजार के लिए पूरे साल कारोबार अच्छा रहे।
अंगुलियों से दाम तय कर सौदा करते हैं पक्का
इसी तरह छावनी में भी शुक्रवार को चावल व्यापारी संघ ने मुहूर्त के पहले सौदे किए। यहां परंपरा अनुसार पहले सौदे रुमाल से ढंके हाथों को मिलाकर अंगुलियों के इशारे से हुए। संघ के पदाधिकारी और व्यापारी दयालदास अजीतकुमार के अनुसार परंपरा अनुसार नए चावल का व्यापार कारोबारी एक दूसरे का हाथ पकड़कर करते हैं। हाथों को रुमाल से ढंक लिया जाता है। अंगुलियों द्वारा दाम तय कर सौदा पक्का होता है।