Highlights

इंदौर

यज्ञ की अग्नि में हो जाते हैं पाप कर्म नष्ट - चिन्मयानंदजी

  • 01 Jun 2022

पितृ पर्वत स्थित हनुमंत धाम पर नौ दिवसीय शिवशक्ति महायज्ञ का शुभारंभ
इंदौर। प्रायश्चित अर्थात मन, वचन और कर्म से किसी भी रूप में हुए पाप के शमन की व्यवस्था। यज्ञ की अग्नि में हर तरह के पापकर्म नष्ट हो जाते हैं। धर्म की प्राप्ति आचरण की शुद्धि से ही संभव है। यह शिवशक्ति महायज्ञ संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए ही हो रहा है। शिव विश्वास हैं और शक्ति अर्थात पार्वती श्रद्धा। किसी भी कर्म के लिए शिव के साथ शक्ति भी जरूरी है।
ये दिव्य विचार हैं श्री श्रीविद्याधाम के महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के, जो उन्होंने आज सुबह पितृ पर्वत स्थित हनुमंत धाम पर बुधवार से प्रारंभ होने वाले नौ दिवसीय शिवशक्ति महायज्ञ में शामिल हो रहे 200 यजमानों के प्रायश्चित कर्म की रस्मों के बाद अपने आशीर्वचन में व्यक्त किए। उन्होंने इंदौर के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सभी साधकों को बधाई देते हुए कहा कि इंदौर का नागरिक होना भी हम सबके लिए अत्यंत गौरव का विषय है। ऐसा सौभाग्य देश में किसी और शहर को नहीं मिला है। प्रारंभ में महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद ने ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ह्यभगवनह्ण के चित्र का पूजन कर शुभारंभ किया। श्री शिवशक्ति साधना समिति की ओर से संयोजक आचार्य पं. उमेश तिवारी, आचार्य पं. राजेश शर्मा, ब्रह्मचारी आचार्य पं. प्रशांत अग्निहोत्री, आचार्य पं. आदर्श शर्मा सहित 11 विद्वानों ने लगभग तीन घंटे चली शास्त्रोक्त क्रियाओं के माध्यम से मुख्य यजमान पुलकित दीपक खंडेलवाल सहित सभी यजमानों से प्रायश्चित विधि संपन्न कराई। इसमें दस तरह के स्नान के बाद दस तरह के दान की रस्में भी शामिल थी। यजमानों ने पंचगव्य, पवित्र नदियों के जल, पंचामृत एवं रजत-स्वर्ण सहित विभिन्न जलों से स्नान भी किया और यज्ञ कुंड की अग्नि की साक्षी में यज्ञोपवीत धारण किए।