Highlights

इंदौर

रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानें, बहनों ने भाईयों के लिए खरीदी राखियां

  • 10 Aug 2022

पूरे दिन रहेगा भद्रा का साया, रात्रि 08.27 के बाद शुभ मुहूर्त में बांधे जाएंगे रक्षासूत्र  
इंदौर। भाई-बहन के स्नेह का पवित्र पर्व रक्षाबंधन की तैयारियां जोरों पर है। इस पवित्र पर्व को लेकर लोगों में भरपूर उत्साह है। पर्व के मद्देनजर बाजारों में दुकानें सज गई हैं। यहां खरीदारी भी की जा रही है। शहर के बाजारों  में रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानें रौनक बिखेर रही है।
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को भाई बहन के प्रेम व स्नेह का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन पर बहनों द्वारा भाइयों की कलाई में राखी बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके क्रम में बहनें राखी बांधकर रक्षा का बचन लेती है। इस दिन समाज के जागरूक लोग विविध कार्यक्रम कर समाज को एक सूत्र में बांधने का संकल्प लेते हैं। देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर डटे जवानों को भी अनेक बहने राखियां भेज कर देश की हिफाजत की गुहार लगाती हैं। दूरदराज रहने वाले भाइयों को डाक व कोरियर कंपनियों द्वारा राखी भेजने का क्रम प्रारंभ हो गया है।
शहर के साथ कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों की बाजारों में दुकानें सज गई हैं। यहां खरीददारी भी हो रही है। स्नेह की डोर का यह पवित्र पर्व उत्साह व परंपरागत ढंग से मनाया जाता है। सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का पर्व इस बार 11 अगस्त गुरूवार को मनाया जाएगा।
इस बार पूरे दिन भद्रा रहेगी। इस कारण रक्षाबंधन महा पर्व रात्रि 08.27 के बाद शुभ मुहूर्त में संपन्न होगा। आचार्य अंकित मार्कण्डेय ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन गुरुवार को श्रवण नक्षत्र, आयुष्मान योग, वाणिज करण, रवि योग तथा कर्क राशि में सूर्य, मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में मनाया जाएगा। श्री मार्कण्डेय के अनुसार रक्षाबंधन के दिन श्रवण नक्षत्र की साक्षी शुभ मानी जाती है, क्योंकि श्रवण नक्षत्र के अधिपति भगवान विष्णु हैं और विष्णु भगवान की साक्षी में ही यह त्यौहार पूर्ण माना जाता है। पूर्णिमा तिथि 11 तारीख को सुबह 10.38 से प्रारंभ होगी जो 12 तारीख सुबह 07.05 रहेगी।
भद्रा 11 तारीख को प्रात. 09.37 से रात्री 08.27 तक रहेगा। राखी बांधने का मुहूर्त रात्रि 08.27 से 09.47 तक रहेगा। इस बार भद्रा का निवास पृथ्वी लोक में नहीं होकर पाताल लोक में है अत: भूलोक पर इसका इतना प्रभाव नहीं रहेगा। शास्त्रानुसार 11 अगस्त को रात्रि 8.27 के बाद भद्रोत्तरम (भद्रा के उपरांत) राखी बांधी जाना अधिक शुभ है। जो कि सभी पंचांगों में बतााया गया है। यदि बहुत ज्यादा जरूरी हो कही जरूरी कार्य से बाहर जाना हो तो, दोपहर में अच्छा चौघडिय़़ा देख कर शुभ मुहूर्त में सारी राखियां भगवान के चरणों में रख दे फिर जल, चंदन, अक्षत से उनका पूजन कर पहले भगवान को राखी बांधे और फिर बहने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधे।
इसी दिन ब्राह्मण देवता श्रावणी उपाकर्म करते है। श्रावणी उपाकर्म उत्सव में वैदिक विधि से हेमाद्रि, प्रायश्चित संकल्प, सूर्य आराधना, दसविधि स्नान, तर्पण, सूर्योपस्थान, यज्ञोपवीत धारण, प्राणायाम, अग्निहोत्र व ऋषि पूजन किया जाता है। वेदपाठी ब्राह्मणों को तो इस कर्म को किसी भी स्थिति में नहीं त्यागना चाहिए। वर्ष में एक बार जरूर करना चाहिए।