विश्वविद्यालय ने विशेष साफ्टवेयर बनाया है, 80 हजार विद्यार्थियों का डाटा होगा डिजिटल
इंदौर। नेशनल एकेडमी डिपाजिटरी (एनएडी) योजना के तहत विद्यार्थियों की जानकारियों को डिजिटल प्रारूप में बदलने का काम देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने शुरू कर दिया है। 2021-22 सत्र के विद्यार्थियों से इसकी शुरूआत हो रही है। इसमें अंकसूची, जाति प्रमाण पत्र, माइग्रेशन, टीसी, टांसक्रिप्ट, आधार नंबर सहित अन्य जानकारी रखी जाएगी। ताकि विदेशों में पढ़ाने या नौकरी करने जाने वाले व्यक्तियों को अपने दस्तावेज सत्यापन करवाने में परेशानी न आए। डिजी लाकर में डाटा सुरक्षित रखने के लिए विश्वविद्यालय ने विशेष साफ्टवेयर बनाया है। लगभग 80 हजार विद्यार्थियों का डाटा डिजिटल किया जा रहा है। यूजीसी से सख्त निर्देश के बाद विश्वविद्यालय ने अगले कुछ महीनों में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है। वहीं विद्यार्थियों की जानकारियों सरकारी और निजी कालेजों से भी बुलवाई जा रही है।
नेशनल एकेडमी डिपाजिटरी (एनएडी) योजना के तहत विद्यार्थियों का डाटा डिजिटल लाकर में रखने के लिए देशभर के सभी विश्वविद्यालय को वर्ष 2017 से बोला गया है। संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि अपने-अपने विद्यार्थियों का डाटा डिजिटल प्रारूप में बदलें, जिसमें छात्र-छात्राओं की डिग्री, अंकसूची, माइग्रेशन, ट्रांसक्रिप्ट सहित अन्य दस्तावेजों का डिजिटल प्रारूप शामिल है। डिजी लाकर में डाटा अपलोड करने की जिम्मेदारी दो एजेंसियों को मिली है। संस्थानों को अपने विद्यार्थियों का डाटा एजेंसियों को भेजना है, जो लाकर में अपलोड करने का काम करेंगी।
इंदौर
विद्यार्थियों की अंकसूची से लेकर आधार नंबर तक की जानकारी होगी डिजी लाकर में
- 19 Jul 2022