भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र बीस दिसंबर से प्रारंभ होने जा रहा है। इसमें मंत्रियों द्वारा सदन में दिए गए आश्वासन की पूर्ति को लेकर बात भी उठेगी। दरअसल, एक हजार 269 आश्वासन ऐसे हैं, जिनकी पूर्ति विभागों द्वारा नहीं की गई है। सदस्यों ने सदन में श्योपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बनाने से लेकर गबन की जांच तक कई प्रश्न उठाए, जिस पर मंत्रियों ने आश्वासन तो दिए पर उसकी पूर्ति नहीं हुई। जबकि, प्रत्येक सत्र से पहले लंबित आश्वासनों की समीक्षा की जाती है।
सर्वाधिक 125 आश्वासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग के लंबित हैं। दूसरे नंबर पर 122 आश्वासन के साथ स्कूल शिक्षा और तीसरे स्थान पर 106 आश्वासन के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विभाग है। आठ दिसंबर 2014 को दुर्गालाल विजय ने मुरैना जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से अलग करके श्योपुर में नए बैंक की स्थापना का प्रश्न उठाया था।
तत्कालीन सहकारिता मंत्री ने प्रस्ताव मिलने पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था। यह प्रकरण आज तक लंबित है। इसी तरह माधो सिंह डाबर ने आलीराजपुर में आदिम जाति सहकारी संस्थाओं के वर्ष 2010 से 2013 की अवधि में ऋण लेने के बाद मूल हितग्राहियों को बीमा की राशि दिलाने का विषय उठाया था। इस पर भी आश्वासन दिया गया था कि बीमा कंपनियों से राशि प्राप्त होते ही उपलब्ध कराई जाएगी पर यह भी लंबित है।
विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि जब तक विभाग आश्वासन की पूरी तरह पूर्ति नहीं कर देते हैं तब तक वे पोर्टल पर लंबित ही रहते हैं। विधानसभा की आश्वासन समिति समय-समय पर इसकी समीक्षा करती है और विभाग प्रमुखों को बुलाकर पूछताछ की जाती है। मुख्य सचिव के स्तर पर भी प्रत्येक सत्र के पहले समीक्षा होती है। कई आश्वासन ऐसा होते हैं, जिनकी पूर्ति में समय लगता है। इनकी जानकारी लेकर स्थिति अद्यतन की जाती है। जिन विभागों के आश्वासन अधिक लंबित हैं, उनके अधिकारियों से अलग से चर्चा भी की जाती है ताकि जल्द निराकरण हो सके। संसदीय कार्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य सचिव द्वारा बुधवार को लंबित आश्वासन, अपूर्ण उत्तर, शून्यकाल की सूचनाओं के उत्तरों की समीक्षा की जाएगी।
19 दिसंबर को होगी सर्वदलीय बैठक
विधानसभा का शीतकालीन सत्र प्रारंभ होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम सर्वदलीय बैठक करेंगे। इसमें प्रश्नकाल सहित सत्र की अन्य गतिविधियों के सुचारू संचालन के लिए सभी दलों के वरिष्ठ विधायकों से चर्चा की जाएगी। इस बार तय किया गया है कि प्रश्नकाल के दौरान किसी भी सदस्य को लिखित प्रश्न पढऩे की अनुमति नहीं होगी। पूरक प्रश्न भी दो ही पूछे जा सकेंगे। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि सभी सदस्यों को प्रश्न पूछने का मौका मिले। सामान्यत: प्रश्नकाल के लिए निर्धारित एक घंटे में चयनित 25 प्रश्न कम ही पूरे हो पाते है।
भोपाल
विधानसभा में 1269 आश्वासन दिए, न जांच हुई न कार्रवाई
                                                                                       
                            
                        - 15 Dec 2021
 
                                              

			      			  	
			      			  	
			      			  	
			      			  	
