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इंदौर

संजा की आकृति में झलकती मालवा की संस्कृति

  • 20 Sep 2022

इंदौर। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी संस्था मालवमंथन, सेवा भारती और निवेदिता प्रकल्प इंदौर ने मालवा और निमाड़ के लोकपर्व संजा का आयोजन किया। ग्राम पालाखेड़ी इंदौर के आदित्य कान्वेंट स्कूल में आयोजित इस आयोजन में बड़ी संख्या में छात्राओं ने भाग लिया। यहां छात्राओं ने पारंपरिक तरीके से बनने वाली संजा के साथ जन जागृति का संदेश भी दिया। कार्यक्रम में संजा के पारंपरिक गीत गाकर पूजन भी किया गया।
कार्यक्रम के अतिथि वरिष्ठ पर्यावरणविद डा. ओपी जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता माला ठाकुर तथा अनिल परिहार थे। कार्यक्रम के संयोजक स्वप्निल व्यास ने बताया कि संजा अर्थात संझा, यह मालवा की लोक संस्कृति है। इसमें मां पार्वती की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि मालवा पार्वतीजी का पीहर है। वे 15 दिन पीहर में रहती हैं। इस समय मालवा में संजा बनाकर उनकी पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि गोबर में एंटीसेप्टिक तत्व होते हैं। वर्षांत में हानिकारक कीट पैदा हो जाते हैं। ऐसे में गोबर से बनी संजा उन कीटाणुओं को नष्ट करने में सहायक होती है। वह गोबर नदी में प्रवाहित किया जाता है, जिससे नदी के दोनों किनारों की वनस्पति पोषित होती है। संजा सिर्फ एक परंपरा ही नहीं, यह विज्ञान भी है और जीवन का दर्शन भी है।
मांडनों में छिपा है जीवन सूत्र
व्यास ने कहा कि संजा के मांडनों तथा गीतों में महिलाओं के विवाहित जीवन से जुड़े कई जीवन सूत्र छिपे होते हैं, जिन्हें बचपन में ही कन्याओं के जीवन में संजा पर्व के दौरान समझने का मौका मिलता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस आयोजन के जरिए संजा परंपरा का संरक्षण तथा इसके माध्यम से जनजागृति का प्रयास भी किया जा रहा है।