इंदौर। गुरुपूर्णिमा के अगले दिन से ही सावन की माह की शुरुआत हो जाती है। हालाकि सावन सोमवार का महत्व अधिक होने के कारण इस दिन मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं लेकिन शहर के कई पुरातन शिव मंदिरों में पूरे सावन भर भक्तों की कतारें देखने को मिलती है। जलाभिषेक से लेकर पूजा पाठ तक के आयोजन देखने को मिलते हैं। आज सावन का पहला सोमवार होने के चलते सुबह से ही भक्तों की कतारें देखने को मिली। हालाकि सावन के पहले दिन से ही शिवालयों में भक्तिमय नजारा देखने को मिल रहा था लेकिन सोमवार का विशेष महत्व होने के चलते विशेष पूजा अर्चना का दौर दिनभर देखने को मिलेगा। वहीं इंदौर से 12 किलोमीटर दूर नेमावर रोड पर देवगुराडिय़ा स्थित शिव मंदिर भक्तों के बीच आस्था का सैलाब देखने को मिला। यहां का शिवलिंग गुटकेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। श्रावण माह में यहां हर दिन सैकड़ों लोग जलाभिषेक करते हैं। श्रावण में भक्तों का मेला लगता है।
मंदिर परिसर स्थित जलकुंड स्थान की सुंदरता में चार चांद लगाता है। श्रावण मास में अधिक बारिश होने पर गोमुख से निकले जल से शिवलिंग का अभिषेक होता है। यहां नाग-नागिन का जोड़ा भी नजर आ जाता है। मंदिर के द्वार की कारीगरी 11-12वीं शताब्दी की है। इस प्राचीन मंदिर के बारे में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। श्रावण मास में यहां शहरी और ग्रामीण भक्तों की दर्नशन-पूजन के लिए कतार लगती है। शिव मंदिर प्राचीन मंदिरों में शामिल हैं। इस स्थान को गरुड़ तीर्थ के नाम से जाना जाता है। 1784 में महेश्वर से इंदौर आगमन के दौरान देवी अहिल्या बाई यहां दर्शन-पूजन के लिए आई थीं। इस बात का उल्लेख होलकरकालीन दस्तावेज में मिलता है।
सावन व महाशिवरात्रि पर होती है विशेष पूजा
भक्तों के बीच मान्यता है कि भगवान के गुटकेश्वर स्वरूप के पूजन से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है। भक्तों का मत है कि श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर यहां जलाभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है। यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में ध्यान-साधना से आध्यात्मिक विकास तेजी से होता है। पिछले दो वर्ष से कोरोना के चलते दर्शन-पूजन में कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन हो रहा था। इस बार भक्त कतारबद्ध होकर दर्शन-पूजन और जलाभिषेक कर सकेंगे। मंदिर के महंत रितेश पुरी का कहना है कि यूं तो यहां वर्षभर भक्त दर्शन-पूजन के लिए आते हैं, लेकिन श्रावण सोमवार और महाशिवरात्रि पर कतार लगती है। महाशिवरात्रि पर मेला भी लगता है। तत्कालीन होलकर शासक भी यहां दर्शन के लिए आते थे।
इंदौर
सावन के पहले सोमवार को आज शिवालयों में लगी कतारें
- 18 Jul 2022