प्रेम की बोली, स्वास्थ्य को संवारती है
वन स्टॉप सेंटर ने मानसिक स्वास्थ्य का महत्व समझा, संवारा रिश्ता
एक युवती ने वन स्टॉप सेंटर पर शिकायत दर्ज की, सास एवम् ननद मारपीट करते हैं, अपशब्द कहकर प्रताड़ित करते हैं। मेरा पति से प्रेम विवाह हुआ है।
पति अच्छा है परंतु मां के व्यवहार के खिलाफ कुछ कहता नही, मुझे छोड़ने के लिए तैयार है पर अपनी मां को नहीं। दो बेटियां हैं, सास कहती है की दहेज भी नहीं लाई और बेटा भी नही जना, तू निकल जा घर से, बेटे की दूसरी शादी करवा दूंगी। मैं सास की सेवा भी करती हूं, समझती हूं की उन्होंने बड़ी तकलीफों में दिन बिताए हैं , परसो मुझे ही कहती हैं की तू मुझे मरना चाहती है।मुझे न्याय दिलवाया जाय।
युवती काफी परेशान थी और बार बार रो रही थी। यहां तक की उसने बताया सुसाइडल थॉट्स भी आते हैं, पर बेटियों को देख रुक जाती हूं।अब मैं उस्वघार में नही रह सकती।
OSC इंदौर की परामर्शदात्री ने युवती का परामर्श सत्र लिया।
चूंकि युवती भील समुदाय की थी, जहां रिवाज होता है की लड़की की शादी के बाद लड़के वाले लड़की के मां बाप को पैसा देते हैं, परंतु पति को पैसा चुकाने में परेशान न होना पड़े इसलिए युवती ने कह दिया की मां का देहांत हो चुका है, भाइयों से में रिश्ता नही रखूंगी ताकि पति पर मायके वालों को पैसे देने का बोझ न आए।
युवती को अपने पति से यूं तो कोई
शिकायत नहीं थी पर सास के तानों से युवती का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा था।
फिर पति को बुलाकर उसका एकल सत्र लिया गया।
ज्ञात हुआ की युवक ने पिता को बचपन में ही को दिया था, मां का जीवन संघर्ष पूर्ण रहा। पत्थर तोड़ कर , गड्ढे खोदकर बच्चों को पढ़ाया, ससुराल वालों का कोई सहयोग नहीं था और वो भी मां को कहते थे की हमारे बेटे को तूने मार डाला। इन सबका मां की मानसिक परिस्थिति पर असर हुआ और अब वो बहु पर अपना गुस्सा निकालती है।में पत्नी बच्चों पर पैसा खर्च करूं तब भी मेरी पत्नी को ही ताने देती है।
पर में भी क्या करूं, मां बहन को बेसहारा नही छोड़ सकता। मां को आंखों से दिखाई भी कम देता है।
पत्नी से कहता हूं ध्यान मत दो, मां जब तक है, फिर तो तुम्हे कोई तकलीफ नहीं होगी।
सारी बातों को समझकर परामर्शदात्री ने युवक का एक और एकल परामर्श सत्र लिया।
इस सत्र के दौरान उससे चर्चा की गई की कैसे उसकी मां की जीवन परिस्थिति ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाला है।
अगर पत्नी भी सब कुछ अच्छा करने सोचने के बाद इस तरह मानसिक संत्रास झेलती रही तो बहुत संभव है की भविष्य में उसकी स्थिति भी तुम्हारे मां के समान या उससे भी बदतर हो जाए। मां के गुजरने के बाद सब ठीक हो जाने का जो दिलासा पत्नी को देते हो , क्या पत्नी की मानसिक स्थिति खराब होने पर पत्नी, बच्चियां , स्वयं को और अपना काम सब कुछ सम्भाल पाओगे?
युवक को समझाया गया की कैसे जीवन में होनेवाली घटनाएं किसी के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
कैसे तुम्हारी मां ने अपना मानसिक संतुलन खोया, और कितना जोखिम है तुम्हारी पत्नी के साथ।इस सत्र के बाद युवक स्थिति को समझ पाया और पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाई।
इसके उपरांत दोनो पति पत्नी के संयुक्त सत्र लिए गए, पत्नी के लिए ऊपर के तल पर अलग से कमरा, जिसमे अटैच्ड लेटबाथ हो, एक किचन हो, पत्नी को किराने का सामान सासू मां से न मांगना पड़े, मां के गलत व्यवहार पर बेटा मां के विरुद्ध न भी बोले क्योंकि मां की स्थिति ठीक नहीं परंतु पत्नी के साथ खड़ा रहे, पत्नी को महत्व और समय दोनो दे पत्नी को समझे और मां और पत्नी के बीच एक ब्रिज का काम करे ताकि पत्नी को सास की नकारात्मकता न सहनी पड़े।
साथ ही पत्नी भी सास के प्रति कर्तव्य की पूर्ति करे, उनके खाने पीने दवाई, आवश्यकताओं का ध्यान रखे। युवक को बताया गया की वह अपनी मां से भी समय समय पर चर्चा करता रहे जिससे उनके अंदर भरा गुबार भी बाहर निकले और शायद उनका व्यवहार भी संतुलित हो सके। संभव हो तो उन्हे भी किसी मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता केवपास लेकर जाएं जिससे वह बच्ची हुआ जीवन शांत होकर व्यतीत कर सके।
तदोपरांत दोनो पति पत्नी एक समाधान और अच्छे भविष्य के प्रति आश्वस्त होकर साथ रहने केलिए रवाना हुए। जिला कार्यक्रम अधिकारी महीला बाल विकास विभाग जिला इंदौर श्री राम निवास बुधौलिया बताते हैं कि महीला बाल विकास विभाग का प्राथमिक उद्देश्य रहता है कि पारिवारिक विवादों को परामर्श सत्र से सुलझाया जाए,जिससे पारिवारिक पुनर्वास किया जा सके। इसी उद्देश्य के साथ ही वन स्टॉप सेंटर (सखी) की टीम काम करती है, और आगे भी प्रयास जारी हैं।
इंदौर
सफलता की कहानी- पारिवारिक विवाद, मानसिक अवसाद का प्रमुख कारण है
- 25 Jul 2022