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इंदौर

हुकमचंद मिल की जमीन का दोबारा होगा मूल्यांकन, कोर्ट ने दिया आदेश

  • 28 Sep 2022

इंदौर। हुकमचंद मिल की साढ़े 42 एकड़ जमीन का दोबारा मूल्यांकन होगा। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने डीआरटी द्वारा पूर्व में किए गए जमीन के मूल्यांकन को निरस्त करते हुए मंगलवार को यह आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि मूल्यांकन की प्रक्रिया में मजदूरों के प्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारी, परिसमापक के प्रतिनिधि, डीआरटी के अधिकारी और दो मूल्यांकनकर्ता शामिल होंगे। मूल्यांकन की कार्रवाई 9 नवंबर को पूरी की जाएगी। मूल्यांकन की रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत होगी। मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
गौरतलब है कि हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हो गई थी। इसके बाद से मिल के छह हजार मजदूर और उनके स्वजन अपने हक के लिए भटक रहे हैं। कोर्ट ने 2007 में मजदूरों का मुआवजा 229 करोड़ रुपये तय किया था। मुआवजे का भुगतान मिल की जमीन बेचकर होना है, लेकिन कई बार निविदा जारी करने के बावजूद जमीन बिक नहीं पा रही है। कुछ दिन पहले डीआरटी ने जमीन बेचने के लिए नई निविदा जारी की थी। इसमें जमीन का आरक्षित मूल्य 385 करोड़ रुपये रखा गया था। मजूदरों ने इसका विरोध करते हुए हाई कोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें कहा था कि छह वर्ष पहले भी जमीन के बेचने के लिए निविदा बुलाई गई थी। उस समय जमीन का आरक्षित मूल्य 400 करोड़ रुपये रखा गया था। छह साल में जमीन की कीमत कई गुना बढ़ गई है।
 हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने डीआरटी द्वारा पूर्व में किए गए जमीन के मूल्यांकन को किया निरस्त, अब 9 नवंबर को दोबारा होगा, इस दौरान मजदूरों के प्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारी, डीआरटी के अधिकारी रहेंगे मौजूद।
9 नवंबर को दोबारा होगी मूल्यांकन की प्रक्रिया
मजदूरों का पक्ष कोर्ट के समक्ष रख रहे एडवोकेट धीरज पंवार ने बताया कि मंगलवार को कोर्ट ने इस संबंध में आदेश दिया है। कोर्ट ने डीआरटी द्वारा पूर्व में किए गए जमीन के मूल्यांकन को निरस्त करते हुए नए सिरे से मूल्यांकन करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि डीआरटी 9 नवंबर को दोबारा मूल्यांकन की प्रक्रिया करे। मूल्यांकन की प्रक्रिया में डीआरटी के अधिकारी, मजदूरों के प्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारी, परिसमापक प्रतिनिधि और दो मूल्यांकनकर्ता शामिल होंगे। डीआरटी पुनर्मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट मेें प्रस्तुत करेगा।