- गीता पुरुषार्थ की पक्षधर है, पलायनवाद का समर्थन कतई नहीं करती
इंदौर। गीता के संदेश हमें कर्मयोगी बनाने की ओर प्रवृत्त करते हैं। समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह हम कब, क्यों और कैसे करें... इसका मंत्र गीता में ही मिलेगा। गीता उस खजाने की तरह है, जिसमें जीवन को सदगुणों से अलंकृत करने के अनेक अनमोल रत्न भरे पड़े हैं। गीता कर्तव्य के बोध और जीवन को सकारात्मक ढंग से जीने का संदेश देती है। गीता पुरुषार्थ की पक्षधर है, पलायनवाद का समर्थन कतई नहीं करती। सृष्टि में सबकुछ परमात्मा की कृपा से ही संभव है। जीव, जगत और जगदीश्वर- तीनों ही रूपों में भगवान का अस्तित्व मौजूद है।
ये दिव्य विचार हैं जगदगुरू शंकराचार्य, पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज के, जो उन्होंने आज शाम गीता भवन में चल रहे 65वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव की धर्मसभा में व्यक्त किए।
लव जिहाद के खिलाफ शपथ गीता जयंती महोत्सव के चौथे दिन आज शाम जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने धर्मसभा में मौजूद हजारों भक्तों को लव जिहाद के खिलाफ जागरुक रहने की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि लव जिहाद जैसी घृणित प्रवृत्ति से बचने के लिए हमें अपने बच्चों को जागरुक बनाने की जरूरत है। समाज में जो अनीति और अधर्म क काम हो रहे हैं, उनसे अपने बच्चों को बचाएंगे तभी हमारा परिवार, समाज और राष्ट्र समृद्ध होगा।
गोस्वामी वागदीश बाबा ने कहा कि आज समाज में लव जिहाद जैसी घातक प्रवृत्ति इसलिए भी पनप रही है कि अन्य धर्मों की तरह हिन्दू सनातन धर्म बच्चों को शिक्षित और संस्कारित करने का कोई प्रबंध नहीं है। अंधानुकरण के कारण हमारे बच्चे दबाव और प्रलोभन में आकर इस तरह की विकृति के शिकार हो रहे हैं, इन्हें रोकने के लिए हमें बच्चों को अपने गौरवशाली इतिहास और लव जिहाद में फंसे ,
100 में से 80 मामले लिव इन के होते है
हमारा युवा शरीर पर टिका हुआ है। शरीर पर टिके होने के करण ही लव जिहाद जैसे मामले सामने आ रहे हैं। 100 में से 80 मामले लिव इन के होते हैं। भारत की संस्कृति अग्नि की साक्षी में सात फेरे लेकर सात वचन के साथ विवाह करने की है। लिव इन जैसी कोई विकृति हमारी संस्कृति में है ही नहीं।
इंदौर
हजारों भक्तों ने ली लव जिहाद के प्रति जागरुक रहने की शपथ
- 06 Dec 2022