नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता से विवाह के बाद भी आरोपी को राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि दुष्कर्म का अपराध गंभीर मामला है। पुरुष और महिला के बीच घटना के बाद विवाह होने पर दुष्कर्म का अपराध खत्म नहीं हो जाता है।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने 28 जुलाई को दिए निर्णय में आरोपी के उस तर्क को खारिज कर दिया कि महिला ने भ्रम में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी कि उसके साथ होटल में जबरन दुष्कर्म किया है। अब दोनों ने विवाह कर लिया है और खुशी से रह रहे हैं। ऐेसे में उसके खिलाफ धारा 376 और 506 के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए।
अदालत ने याचिका खारिज करते कहा कि पीड़िता व आरोपी के बीच विवाह होने के बाद अपराध माफ नहीं हो सकता है। आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध एक गंभीर अपराध है। ऐसे में दोनों पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर इसे रद्द नहीं किया जा सकता है। पुलिस के अनुसार महिला ने इसी वर्ष पहाड़गंज थाने में प्राथमिकी दर्ज दर्ज कराई थी कि आरोपी ने एक होटल के एक कमरे में ले जाकर उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया।
महिला ने कहा कि उसने आरोपी को स्पष्ट कर दिया था कि बिना विवाह के शारीरिक संबंध नहीं बना सकती। याचिकाकर्ता ने प्राथमिकी रद्द करने के लिए तर्क दिया था कि वे दोनों शादी के बाद साथ रह रहे हैं। उनकी पत्नी ने उस समय भ्रम में मामला दर्ज करवाया था।