इंदौर। बड़ा गणपति हो या देवास घाट, सुभाष मार्ग पुल, परदेशीपुरा चौराहा हो या मालवा मिल, पाटनीपुरा, खजराना दरगाह हो या गणेश मंदिर हो। कहीं भी चले जाओ टाटा मैजिक वालों ने सड़कों को अपनी संपत्ति समझ रखा है। ट्रैफिक पुलिस के जवान की तो हिम्मत ही नहीं कि इन्हें हटा सके। सुभाष मार्ग, देवास घाट पुल पर तो एक दुपहिया वाहन चालक ने मैजिक का एक दम दरवाजा खोलने पर सावधानी से खोलने की बात कही तो टूटे फूटे नंबर व टेल लाइट वाले ड्रायवर ने कहा देख बे सड़क अपने बाप की है किसी में दम तो तो रोक ले। मर्जी होगी वहीं खड़ी करेंगे।
इंदौर में कुल मैजिक वाहनों में से 25 फीसद से ज्यादा ऐसी हैं जिनकी टेल लाइट, इंडिकेटर व हेड लाइट गायब है। भंगार बनी गाड़ियों को नियम कायदे ताक में रखकर दौड़ाया जाता है। सवारियां पकड़ने की कॉम्पिटिशन को लेकर हर दिन झगड़े होते हैं। जिस पर आरटीओ को गाड़ियां पासिंग करने की जिम्मेदारी है वहां के अफसर टूटे फूटे हेड लाइट, टेल लाइट की गाड़ियां कैसे पास करके सड़क पर चलने देते हैं। आरटीओ में ले देकर भंगार गाड़ियां चलाई जाती है। परिवहन अधिकारी तो कभी सड़क पर कार्रवाई करते नजर नहीं आते हैं। रहा सवाल ट्रैफिक पुलिस का तो वह तो दुपहिया स्कूटर मोटर सायकल वालों से वसूली और रांग पार्किंग पर वसूली के अलावा कभी कुछ करते नजर नहीं आते। इंदौर पुलिस कमिश्नरी बनने जा रहा है। यहां के मैजिक वाहन वाले कैसे सुधारे जाएंगे। इंदौर के ट्रैफिक को कैसे सुधारा जाएगा इसे लेकर भी ट्रैफिक इंजीनियरिंग पर ध्यान देना चाहिए।
अटल सिटी ट्रांसपोर्ट की बसें भी टेम्पो बनी
कमाई के लालच में अटल सिटी ट्रांसपोर्ट की बसें भी टेम्पों की तर्ज पर चलने लगी है। जहां सवारी देखी वहीं ब्रेक लगा दिया। पीछे आने वाले ठुके पिटे उनकी बला से। ऐसा लगता है कि इंदौर में ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं होता। दो चार चौराहों हाईकोर्ट, पलासिया, गीता भवन, एलआईजी के अलावा पुलिस व्यवस्था कहीं नजर नहीं आती है। देखना यह है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली से कितना सुधार आता है।
इंदौर
बीच सड़कों से नहीं हटा पा रहे मैजिक रिक्शा की पार्किंग, कई इलाकों में आधी सड़क घेरी, नहीं होती कोई कार्रवाई
- 27 Nov 2021