व्रती महिलाएं संतान की लम्बी आयु के लिए रखती हैं 36 घंटे का निर्जला उपवास
इंदौर। शहर में रह रही सैकड़ों मैथिल समाज एवं पूर्वोत्तर की महिलाओं का अपने संतान की लम्बी आयु के लिए तीन-दिवसीय निर्जला जितिया पर्व आज शुक्रवार को ैतेल खैरö एवं नहाय खाय के साथ शरू हुआ। जितिया महाव्रत करने वाली महिलाओं ने आज पूर्ण पवित्रता के साथ स्नान एवं पूजा करने के पश्चात जितवाहन माता एवं चिल्होईर को झिमुनि (तोरई) के पत्ता पर सरसो का तेल और खैर (सरसो की खल्ली) विधि विधान से अर्पण करने के पश्चात चुरा (पोहा ), दही एवं मिष्ठान का भोग लगा कर अपने परिजनों में भोग लगा हुआ प्रसाद बांटा। शुक्रवार शाम को महिलाओं ने मरुआ (रागी ) कोटा का रोटी एवं मछली बना कर उसे ग्रहण किया। वहीं वैष्णव ने झिमुनि (तोरई) की सब्जी एवं नोनी आ साग बनाकर मरुआ रोटी के साथ उसे ग्रहण किया।
दूसरे दिन 17 सितंबर शनिवार की सुबह व्रती मैथिल एवं अन्य समाज की महिलाएं सुबह 5 बजे ओठगन करेंगी। तत्पश्चात शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला उपवास। लगभग 36 घंटे का निर्जला उपवास के बाद जितिया महाव्रत का समापन 18 सितंबर रविवार को शाम 4 बजकर 39 मिनट पर पारण के साथ होगा। पारण से पूर्व व्रती महिलाएं स्नान कर जितवाहन की पूजा कर चील-सियारों की कथा कहेंगी, सुनेंगी। फिर खीरा, भींगे केराव का प्रसाद जितवाहन एवं चील सियारो को चढ़ा कर तथा इस प्रसाद को ग्रहण कर अपना व्रत पूर्ण करेंगी। पुत्र की दीघार्यु, आरोग्य तथा कल्याण की कामना से स्त्रियां इस व्रत का अनुष्ठान करती है, जो स्त्री जीमूतवाहन की अनुकंपा के लिए पूजा-अर्चना व आराधना करती हैं एवं विधि-विधान से निष्ठापूर्वक कथा श्रवण कर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देती हैं, उन्हें पुत्रों का सुख व उनकी समृद्धि प्राप्त होती है।
महिलाओं ने किया जितिया उत्सव का सामूहिक आयोजन।
जितिया पर्व से एक दिन पूर्व शहर की सखी बहिनपा मैथिलानी समाज की महिलाओं ने किया जितिया उत्सव का सामूहिक आयोजन। इस आयोजन में बड़ी संख्या मैथिल समाज की महिलाएं सम्मिलित हुई। आयोजन में महिलाओं हेतु चुरा-दही, मिठाई भोजन की व्यवस्था की गयी थी। जितिया उत्सव में उपस्थित सभी महिलाओं को चुरा, मरुआ का आता एवं सौभाग्य सामग्री का वितरण कौन खोंछी भर कर किया गया , जितिया उत्सव में पुरे शहर से बड़ी संख्या में मैथिल महिलाएं उपस्थित थीं. मैथलानी समूह की ऋतु झा ने कहा कि जितिया महाव्रत में व्रती महिलाएं अपने संतान के दीर्घ जीवन हेतु कठोर निर्जल उपवास रखतीं हैं। मान्यता है कि इस व्रत के करने से संतान को दीर्घ आयु एवं निरोगता प्राप्त होती है।