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इंदौर

रिश्वतखोर बैंक मैनेजर को 4 साल की जेल

  • 08 Feb 2023

-आटो के लोन में सबसिडी के लिए मांगी थी रिश्वत
इंदौर। स्वरोजगार योजना के तहत आटो रिक्शा खरीदने के लिए लोन पर मिली सबसिडी खाते में जमा कराने के एवज में रिश्वत मांगने वाले बैंक मैनेजर को विशेष न्यायाधीश ने 4-4 साल की जेल और अर्थदंड से दंडित किया है।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव के अनुसार विशेष न्यायाधीश राकेश गोयल द्वारा प्रकरण क्रमांक 13/2017 में निर्णय पारित करते हुये भरत पिता रामेश्वरदास गोयल शाखा प्रबंधक  नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक सुदामानगर को पीसी एक्ट की धारा 7, 13(1)(डी), 13(2) में 4-4 वर्ष का कठोर कारावास एवं 2-2 हजार का अर्थदण्ड  से दण्डित किया गया है। अर्थदण्ड  अदा न करने पर 3 माह का अतिरिक्त कारावास पृथक् से भुगतना होगा। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता द्वारा की गई।  
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि, फरियादी देवदास मकवाना ने 5 अक्टूबर 2016 को लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत की थी कि उसे नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक शाखा सुदामा नगर से ऑटो रिक्शा खरीदने हेतु दिनांक 9 अगस्त 2016 को दो लाख रुपये का लोन स्वीकृत हुआ था। उक्त लोन में चालीस हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई थी। आवेदक बैंक जाकर मैनेजर भरत गोयल से मिला और लोन राशि देने व सब्सिडी राशि के बारे में चर्चा की तो उन्होंने लोन राशि का चेक देने एवं सब्सिडी राशि को लोन खाते में जमा करने के एवज में बीस हजार रुपये रिश्वत की मांग की। आवेदक ने रिश्वत राशि कम करने का निवेदन किया तो मैनेजर पांच हजार रुपये कम करते हुये पंद्रह हजार रुपये रिश्वत में लेना तय किया। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त टीम द्वारा 6 अक्टूबर 16 को ट्रेप की कार्रवाई की गई। आरोपी भरत गोयल द्वारा उस दिन फरियादी देवदास से रिश्वत राशि 6000 रुपये सफाईकर्मी भोलाराम को दिलवाई थी, जिसे लोकायुक्त पुलिस द्वारा मौके पर जप्त किया गया एवं दोनों आरोपीगण को गिरफ्तार किया गया। विवेचना कर प्रकरण का अभियोग पत्र विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। लोकायुक्तगण कार्यालय द्वारा विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष अभियुक्तंगण के विरुद्ध धारा 7, 13(1)(डी), 13(2) पी.सी. एक्ट  1988 एवं 120-बी भा.दं.वि. में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा सभी साक्षीगणों का परीक्षण तत्परता से करवाते हुए लिखित अंतिम तर्क प्रकरण में प्रस्तुुत किये गए, जिसके आधार पर माननीय न्यायालय द्वारा अभियुक्त भरत गोयल को उक्त  सजा सुनाई गई। साथ ही अन्य आरोपी भोलाराम को दोषमुक्त कर दिया गया।