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16 साल का लड़का बना जैनमुनि

  • 05 Dec 2022

करोड़पति पिता के इकलौते बेटे ने चुनी संयम की राह
बदनावर। खेलने और पढऩे-लिखने की उम्र में एक किशोर ने संयम की राह पकड़ ली। सांसारिक मोह माया त्याग कर अध्यात्म की यात्रा शुरू कर दी।
धार जिले के बदनावर स्थित नागदा गांव में एक करोड़पति व्यापारी का एकलौता बेटा दीक्षा लेकर संयम की राह पर चल पड़ा है। जाने-माने हार्डवेयर व्यापारी मुकेश श्रीश्रीमाल के बेटे अचल ने सांसारिक सुखों को त्याग कर 16 वर्ष की उम्र में दीक्षा ले ली, अब से वे जैन मुनि हो गए हैं।
नागदा में रविवार को दीक्षा महोत्सव का आयोजन हुआ। गुरुदेव उमेशमुनिजी के शिष्य प्रवर्तक जिनेंद्रमुनिजी ने अचल की दीक्षा दिलाई। इस दौरान दीक्षार्थी की जय-जय कार के जयघोष गूंजते रहे।
मंडी प्रांगण में जुटे समाजजन
दीक्षा महोत्सव के चलते नगर में गुरु भक्तों की चहल-पहल रही। यहां बड़ी संख्या में समाजजनों ने उपस्थिति दर्ज कराई। नगर में जगह-जगह दीक्षार्थी की अनुमोदना में वैरागी को वंदन के बैनर लगे नजर आए। नागदा मंडी प्रांगण में आयोजित समारोह में अचल श्रीश्रीमाल की दीक्षा गुरुदेव उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तक जिनेंद्र मुनिजी की निश्रा में संपन्न हुई। इसके पहले निज निवास से दीक्षार्थी की महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकाली गई।
2 साल पहले ही दीक्षा लेने का कर लिया था विचार
अचल का जन्म 21 जून 2006 को नागदा गांव के संपन्न श्रीश्रीमाल परिवार में हुआ। अचल के पिता मुकेश श्रीश्रीमाल की गिनती बड़े कारोबारियों में होती है। परिवार में माता-पिता, दादा-दादी और एक बड़ी बहन है। अचल ने कक्षा 9वीं तक पढ़ाई की है। 2 वर्षों से मुमुक्षु वैराग्यकाल में गुरु भगवंतों के सानिध्य में चल रहे थे। अचल ने बताया कि 2020 में नागदा में वर्षावास हुआ था, तभी से मन में संयम की राह पर चलने का विचार कर लिया था। अब तक वे आष्टा, भोपाल, शाजापुर, शुजालपुर समेत कई शहरों में 1200 किलोमीटर तक पैदल विहार कर चुके हैं।