धन किसी को नहीं बिगाड़ता, धन में बुराई नहीं है, धन बुरा नहीं है। दुख का कारण धन नहीं है, धन के कारण दुखी नहीं है, धन के कारण चरित्र का पता नहीं होता। धन तो मात्र अवसर प्रदान करता है, अच्छे का भी और बुरे का भी। धन से अवसर उत्पन्न होते हैं। जो कृत्य धन के अभाव में नहीं कर पा रहे थे, ऐसा नहीं है कि हम साधु थे, सज्जन थे, क्योंकि धन नहीं था, इसलिए ना तो वैश्यालय जाने की सुविधा थी और ना ही शराब खाने में और ना ही जुआ खाने में जाने की सुविधा थी, क्योंकि वहां बिना धन के प्रवेश ही नहीं हो सकता। जब धन आ गया तो जितने अवगुण छिपे पड़े थे, वे सब बाहर प्रकट होने लग गए। वे धन के कारण नहीं, वे सब पहले से ही मौजूद थे। बस उन्हें ऊपजाऊ भूमि नहीं मिल पा रही थी, धन के कारण वो उपलब्ध हो गई। धन का तिरस्कार नहीं, अपितु बुराइयों का तिरस्कार होना चाहिए।
धन - OHSO कहिन
- 06 Sep 2020