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खुली चिठ्ठी

मुझे विश्वास है कि " स्वार्थपरक राजनीति "का यह दौर अब बहुत दिन तक नहीं चलेगा

  • 15 Aug 2020

आ ज हम अपनी आजादी का जश्न मना रहे हैं. लेकिन आजाद देश में हमारे प्यारे देशवासियों को ऐसा भी दिन देखना पड़ेगा..., कि जब अपने स्वार्थ के लिए राजनीति को न केवल गंदा कर दिया जाएगा, बल्कि कुर्सी और सत्ता पाने के लिए राजनेता हर हद को पार कर जाएंगे... 
आजाद भारत में वर्तमान की राजनीति का दौर किसी से छिपा नहीं है... हर जगह राजनीति का चीरहरण हो रहा है और इस चीरहरण को रोकने वाला कोई नहीं है... देश को आजाद कराने की लड़ाई में जहां राजनेता सबसे आगे रहकर अपने प्राणों तक की परवाह नहीं करते थे और उस समय के दौर में राजनीति में आने का उद्देश्य केवल जनसेवा ही रहता था... वही उद्देश्य आज बदल गया है...
बात चाहे मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक या अन्य राज्य की हो... हर जगह एक ही वास्तविकता लोगों के सामने है कि जिन राजनेता पर उन्होंने विश्वास किया है..., उनमें अधिकांश ने उन्हें धोखा ही दिया है... एक आम आदमी जो चुनाव के समय इन नेताओं के लिए वोट की खातिर बहुत ही खास हो जाता है..., वह सोचता है कि मैंने किन पर विश्वास कर लिया... राजनीति में आकर अपने स्वार्थ के लिए नेता उसी जनता को धोखा दे रहे हैं, जिस जनता ने उन्हें अपना जनप्रतिनिधि बनाते हुए विधायक के रूप में चुना है... विधायक खुद जनता को अनेदखा कर कुर्सी के लालच में दूसरे दलों से हाथ मिला रहे हैं...
आम आदमी सोचता है कि मैंने यह क्या कर दिया... जिस नेता और पार्टी पर विश्वास कर वोट दिया वह दूसरी पार्टी में चला गया.. . वह सोचता है कि कि हम अंधे हैं.. हम बहरे हैं हम लूले और लंगड़े भी., अभी लूट लो हमको..., दे दो हमको धोखा..., यह भारतीय राजनीति का यह अवसरवादी चेहरा अभी हमने देख लिया  है..., लेकिन मुझे विश्वास है कि यह बहुत दिनों तक नहीं चलेगा...आखिर कब तक आजादी के बाद भी हम इन राजनेताओं के इशारों पर चलते रहेंगे... एक दिन तो आएगा... जब राजनीति को गंदा करने वालों को सबक सिखाया जाएगा... आम आदमी ही वास्तविक सरकार की प्रजातंत्रीय भूमिका में होगा... राष्ट्रहित और जनहित की समस्याओं का निराकरण होगा... वही दिन गंदी राजनीति से आजादी का दिन होगा... 
उम्मीद पर दुनिया कायम है इसी आशा के साथ स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं