इधर बीजेपी-जेडी(यू) गठजोड़ बिहार में सरकार बनाने को तैयार है, उधर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने एक विकट स्थिति खड़ी हो गई है- नीतीश कुमार का क्या करें?
बिहार में, बीजेपी अब सीनियर सहयोगी के तौर पर उभरकर सामने आई है, और उसकी पीठ पर अब नीतीश कुमार के रूप में, एक थका हुआ नेता सवार है. अब ये कुछ ही समय की बात है, जब पार्टी अपना हक़ जमाएगी और सूबे की कमान अपने हाथ में ले लेगी. लेकिन इससे जल्दी ही ऐसी स्थिति ज़रूर पैदा हो जाएगी, जिसमें नीतीश को किनारे कर दिया जाएगा.
मोदी-शाह की जोड़ी भले ही फिलहाल के लिए, समझौते के अपने रुख़ पर क़ायम रहें, लेकिन क्या वो नीतीश कुमार को उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा करने देंगे? नीतीश को बिहार सरकार का चेहरा बनाए रखना, निश्चित रूप से 2025 के विधान सभा चुनावों में, और संभवतया 2024 के लोकसभा चुनावों में भी, बीजेपी के लिए बोझ बन जाएगा.