माने जो कोई बात, तो इक बात बहुत है
सदियों के लिए पल की मुलाक़ात बहुत है
महिने में किसी रोज़, कहीं चाय के दो कप
इतना है अगर साथ, तो फिर साथ बहुत है
माने जो कोई बात, तो इक बात बहुत है
सदियों के लिए पल की मुलाक़ात बहुत है
महिने में किसी रोज़, कहीं चाय के दो कप
इतना है अगर साथ, तो फिर साथ बहुत है
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