आने वाले 20 वर्षो में हमारे घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे।
भाई, भाभी, देवर, देवरानी, जेठ, जेठानी, काका, काकी, ननद, ननदोई, बुआ-फूफाजी सहित अनेक रिश्ते हमारे घरों से समाप्त हो जाएंगे। बस ढाई तीन लोगों के परिवार बचेंगे, न हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा, न तेज तर्राट छोटा भाई होगा, न घर मे भाभी होगी, न कोई छोटा देवर होगा, बहु भी अकेली होगी, न उसकी कोई देवरानी होगी न जेठानी। न चुलबुली ननद न तेज तर्रार भुआ।
कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं...मैं की मूढ़ता और अज्ञनता के कारण परिवार खत्म होते जा रहे हैं। दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर हैं । पहले कच्चे घरो में भी बड़े परिवार रह लेते थे। अब बड़े बंगलो मे भी यिर्फ ढाई-तीन लोगों के रहने का फैशन चल पड़ा है। मन दुखी होता है सब सोचकर हम को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए।
इस चुनौती पूर्ण सदी मे हम एक बच्चे को कहां कहां की जिम्मेदारी देकर जाएंगे और उसमें हिम्मत कौन भरेगा बिना भाइयों के कंधे पर हाथ कौन रखेगा। हिन्दुओं की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है! अपना ट्रेंड परिवर्तन करना ही होगा । बच्चों की शादी की उम्र 20 से 24 तक निश्चित करें । कामयाब बनाने के चक्कर में 30 से 35 तक खींच रहे हैं इतने में एक पीढ़ी का अंतर हो जाता है आपकी कामयाबी के समय में सामने वाला उम्र का आंकड़ा पार कर देता है..!