आगर मालवा। दूसरे देशों में गाय दूध देती है, हमारे देश में वोट देती है।’ व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने करीब तीन दशक पहले ये लिखा था। तब से अब तक राजनीति में गाय की भूमिका और दुर्दशा दोनों में बदलाव नहीं आया। मध्यप्रदेश में भी इस साल चुनाव हैं। हर बार की तरह गाय का मुद्दा गरम है। इसी बीच सरकार ने देश के पहले गो अभयारण्य को निजी हाथों में सौंप दिया है। अब इसका कामकाज राजस्थान की श्री गोधाम महातीर्थ पथमेडा गोसेवा संस्था देख रही है। सरकार इस अभयारण्य पर रोजाना ढाई लाख रुपए खर्च कर रही है।
आगर मालवा जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर सालरिया में बना है देश का पहला गो अभयारण्य। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले यहां अभयारण्य का उद्घाटन हुआ था। इसका कॉन्सेप्ट सामान्य गोशाला से एकदम अलग था। ये गायों के लिए अभयारण्य था यानी ऐसी जगह, जहां गायें अभय होकर विचरण कर सकें। विचरण करने के लिए जगह की भी कमी नहीं थी। ये अभयारण्य कुल 472 हेक्टेयर में बना है।
इस अभयारण्य की दो और विशेषता थी कि यहां गायों की नस्ल पर अनुसंधान किया जाना था। बेहतर नस्ल की दुधारू गायों का उत्पादन किया जाना था। इसीलिए इसका नाम गो अभयारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केंद्र रखा गया। इसके उद्घाटन के अगले बरस चुनावों के बाद प्रदेश में सरकार बदल गई। 14 महीने बाद एक बार फिर सरकार बदल गई। प्रदेश में राजनीति अस्थिर थी। इधर, इस गो अभयारण्य की दशा भी खराब थी।
गायों के इस अनुसंधान केंद्र में करीब छह साल में इसकी जिम्मेदारी संभालने वाले पशु चिकित्सा विभाग के अफसर अनुसंधान करने वाले ही तलाशते रहे। नतीजा, न नस्ल सुधार हुआ न उत्पादन बेहतर हुआ। उल्टे देखरेख के अभाव में गायें बीमार होती गईं और मरियल सी दिखने लगीं। कई तो मर ही गईं।
राज्य
गोशाला का प्राइवेटाइजेशन संस्था को सौंपा जिम्मा
- 03 Feb 2023